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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 10, Issue 3, Part A (2024)

ग्रामीण महिलायें एवम् स्वयं सहायता समूहः साहित्य की समीक्षा

ग्रामीण महिलायें एवम् स्वयं सहायता समूहः साहित्य की समीक्षा

Author(s)
अनामिका गुप्ता
Abstract
स्वयं सहायता समूह 10-20 लोगों द्वारा बनाया एक स्वैच्छिक संगठन है जिसमें सम्मिलित होकर ग्रामीण महिलायें छोटी-छोटी बचत करके बैंक से जुड़कर सूक्ष्मऋण प्राप्त कर विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म उद्योग स्थापित करके आत्मनिर्भर बन रही हैं, इसमें नाबार्ड प्रमुख भूमिका निभा रहा है। नाबार्ड (2021) की रिपोर्ट के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 64.78 लाख स्वयं सहायता समूह (छण्त्ण्स्ण्डण् के अन्तर्गत) बैंक से जुड़े तथा उनके सदस्यों द्वारा 19353.70 करोड रूपये की बचत की गई। ग्रामीण महिलायें समूह के माध्यम से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर स्वास्थ्य, शिक्षा तथा अन्य पारिवारिक समस्याओं का समाधान कुशलतापूर्वक कर रही है जिससे समाज में उन्हें एक नई पहचान मिल रही है। प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति तथा उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता को प्रदर्शित करना है, जिसके लिए द्वितीयक स्त्रोतों का उपयोग किया गया है।
Pages: 33-35  |  488 Views  252 Downloads


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How to cite this article:
अनामिका गुप्ता. ग्रामीण महिलायें एवम् स्वयं सहायता समूहः साहित्य की समीक्षा. Int J Appl Res 2024;10(3):33-35.
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