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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 10, Issue 3, Part C (2024)

स्त्री आत्मकथाओं और उसमें अभिव्यक्त सामाजिक पारिवारिक जीवन संस्कृति

स्त्री आत्मकथाओं और उसमें अभिव्यक्त सामाजिक पारिवारिक जीवन संस्कृति

Author(s)
दीपा कनौजिया
Abstract
कौसल्या बैसंत्री जी अपने परिवार और समाज की पिछड़ी बस्ती के लोगों के बारे में बताती है। उनका महार समाज हिन्दू धर्म के भेदभाव से त्रस्त था। दैवी प्रकोप और चमत्कारों में उलझा हुआ था लेकिन अब उनके समाज में जो बदलाव आया है। उसके बारे में वे कहती हैं कि, ‘‘अब अधिकांश महार बौध्द हो गए हैं और उन्होंने इस अंधविश्वास और काल्पनिक देवी-देवताओं को पूजना छोड़ दिया है। माता के मंदिर की जगह अब यहाँ बौध्द मंदिर बन गया है।’‘1 अब उनके बस्ती के लोग पुराना हिंसात्मक धर्म भूलकर बुद्ध के अहिंसा का मार्ग अपना रहे हैं तथा कर्मकाण्डों और अंधविश्वासों पर निर्भर न रहते हुए बुद्ध की प्रज्ञा को समझकर अपना विकास कर रहे हैं।
Pages: 258-260  |  50 Views  25 Downloads


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How to cite this article:
दीपा कनौजिया. स्त्री आत्मकथाओं और उसमें अभिव्यक्त सामाजिक पारिवारिक जीवन संस्कृति. Int J Appl Res 2024;10(3):258-260.
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