Vol. 10, Issue 7, Part A (2024)
नई शिक्षा नीति 2020 में आई.सी.टी. और शैक्षिक नवाचार की भूमिका
नई शिक्षा नीति 2020 में आई.सी.टी. और शैक्षिक नवाचार की भूमिका
Author(s)
डॉ. संजय कुमार वर्मा
Abstract
भारत में नई शिक्षा नीति के शुभारंभ 1968 ईस्वी की नई शिक्षा नीति से मानी जाती है । इसमें समय समय पर संशोधित होता आ रहा है ।1986, 1992 नई शिक्षा नीति पर संशोधित किया गया जिसमें शिक्षा संबंधित नियमों को 21वीं सदी में बहुत बड़ा बदलाव किया गया है । इसी समय मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय के नाम को बदलकर शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा । नई शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य है कि 2030 तक नई शैक्षिक पाठ्यक्रम 5 + 3 +3 + 4 वर्तमान शैक्षिक प्रणाली 10+2 के साथ प्रदेश स्थापित करना है । नई शिक्षा नीति 2020 में केंद्र तथा राज्य सरकार दोनों का निवेश होना होगा । एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट का गठन किया जाएगा जिसमें छात्रों द्वारा परीक्षा में प्राप्त किए गए क्रेडिट को डिजिटल अकैडमी क्रेडिट बनाया जाएगा और विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों के माध्यम से इंक्रेडिट को जोड कर छात्रों के अंतिम वर्ष की डिग्री में स्थानांतरित करके सभी क्रेडिट को एक साथ जोड़ा जाएगा जो छात्र हित के लिए महत्वपूर्ण है । इस शिक्षा नीति के अंतर्गत शैक्षिक पाठ्यक्रम को लचीला बनाया जाने की हर संभव कोशिश की गई है । नई शिक्षा नीति के भीतर स्नातक कोर्स 3 से 4 साल का तक पढ़ा जा सकता है इसके साथ साथ यदि कोई छात्र 1 साल के लिए स्नातक कोर्स की पढ़ाई करता है तो उसे केवल 1 साल की पढ़ाई का ही प्रमाण पत्र दिया जाएगा और 2 साल बाद उसे एडवांस डिप्लोमा का प्रमाण पत्र दिया जाएगा और 3 साल बाद उच्च प्रमाणों के आधार पर उसे डिग्री दी जाएगी । अंत में 4 साल के बाद छात्र को स्नातक डिग्री के साथ-साथ रिसर्च की डिग्री भी दी जाएगी। नई शिक्षा नीति के तहत यहा लर्निंग पर जोर दिया जा रहा है ताकि किताबों पर निर्भरता कम हो सके । नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय उच्च शिक्षा आयोग को चार वर्टिकल दिए गए हैं, नेशनल हायर एजुकेशन, रेगुलेटरी काउंसलिंग हायर एजुकेशन, काउंसलिंग एजुकेशन काउंसलिंग तथा नेशनल एक्रीडिटेशन काउंसिल । नई शिक्षा नीति 2020 का प्रारूप का श्रेय इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन को दिया जाता है । इसको बेहतर बनाने के लिए लाइव प्रोग्राम एनटीपी रेमेडियल इंस्ट्रक्शनल शिक्षा का अधिकार आरटीआई से नई 2020 के विकास के लिए सुझाव दिया गया है सभी मुक्त दूरस्थ शिक्षा ऑनलाइन और पारंपरिक कक्षा शिक्षण में समान रूप से सुनिश्चित किया जाएगा । छात्रों को एक बेहतर और आकर्षण शिक्षा देने के लिए संस्थानों द्वारा इसके अनुरूप पाठ्यक्रम और शिक्षण विद्या को रचा जाएगा और प्रत्येक कार्यक्रम को उसके लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए रचनात्मक आकलन का उपयोग किया जाएगा इस नई शिक्षा नीति में ओडीएल कार्यक्रम उच्चतम गुणवत्ता वाले इस क्लास कार्यक्रम के बराबर होने का लक्ष्य रखा गया है । रेमेडियल के प्रमाणीकरण विकास विनिमय और मान्यता के लिए मानक और दिशानिर्देश तैयार किया गया है और ऑडियो की गुणवत्ता के लिए एक रूपरेखा तैयार किया गया है जो कि सभी उच्चतर शैक्षिक संस्थानों के लिए अनुशासित किया गया है।सूचना और संचार प्रौद्योगिकी अथवा आईसीटी प्रयोक्ताओं को तेजी से बदलते हुए विश्व में प्रतिभागिता करने में समर्थ बनाती है जिसमें कार्य तथा अन्य क्रियाकलाप निरंतर पहुंच के माध्यम से विविध और विकसित होती प्रौद्योगिकियों में रूपांतरित होते जा रहे हैं। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं उद्योग 2009 के आंकड़ों के अनुसार देश की जीडीपी और निर्यात आय में 5.9 प्रतिशत का योगदान देता है तथा अपने तृतीयक क्षेत्र कार्यबल को बड़ी मात्रा में नियोजन भी प्रदान करा रहा है। इस क्षेत्र में लगभग 2.3 मिलियन लोग प्रत्यक्षत: अथवा अप्रत्यक्षत:रूप से नियोजित हैं जो इसे भारत के सर्वोच्च रोजगार सृजनकर्ता क्षेत्रों में से एक तथा यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा बनाते हैं।
How to cite this article:
डॉ. संजय कुमार वर्मा. नई शिक्षा नीति 2020 में आई.सी.टी. और शैक्षिक नवाचार की भूमिका. Int J Appl Res 2024;10(7):09-13.