Vol. 10, Issue 7, Part A (2024)
नई कविता का यथार्थवादी सौंदर्य
नई कविता का यथार्थवादी सौंदर्य
Author(s)
डाॅ. विमलेन्दु कुमार विमल
Abstractआधुनिकता के नाम पर की जाने वाली साहित्यिक बहसें निर्थक और कुंठित होती है, जो मनुष्य की प्रगति में बाधक है। नई कविता उस युग की कविता है जहां हमारा समाज सिद्धांतों, अधिकारों एवं उनके प्रभावों से उत्पन्न शहरीकरण का दंश झेलता है। ये बातें मनुष्य की संवेदना पर गहरा असर डालती है । नई कविता के कवियों में विद्रोह के स्वर स्पष्ट मुखर है, जिसकी प्रेरणा उन्हें निराला से मिली थी। इन कवियों ने नगर के सुख-दुःख की अभिव्यक्ति कर मानवता को जीवित रखने का प्रयास किया है। औद्योगिककरण के कारण शहरी सभ्यता का प्रचार-प्रसार इतना बढ़ा कि कोई उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। तभी तो इन कवियों ने नग्न यथार्थ को व्यक्त करने में कोई संकोच नहीं किया है, जिसके कारण इन कविताओं का सौंदर्य और बढ़ गया है। कवि ने यथार्थवादी सौंदर्य के बहाने प्रेम की जिजीविषा को बनाये रखने का भरपुर प्रयास किया है जिसमें नैसर्गिक प्रेम की मंदाकिनी प्रवाहित हुई है।
यही कारण है कि नई कविता का यथार्थवादी सौंदर्य नई दिशओं की ओर निःसृत होती हुई दीखती है। जिसमें मानवता के प्रति निष्ठा बरकरार है, जो नई कविता के सौदर्यबोध को दर्शाता है।