Vol. 10, Issue 9, Part B (2024)
कबीर का हिन्दी साहित्य में योगदान एवं निर्गुण भवित
कबीर का हिन्दी साहित्य में योगदान एवं निर्गुण भवित
Author(s)
डाॅ. कुणाल किशोर
Abstract
हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में कबीर कालजयी रचनाकार के रूप में विख्यात हैं। इनका भक्ति आन्दोलन के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान भी रहा है। कबीर दास जी के कारण हीं भक्तिकाल को स्वर्णकाल का महत्व प्राप्त है। इस सम्पूर्ण जगत में कबीरदास जी की तुलना किसी भी कवि से नहीं की जा सकती। मानवता को उच्चे आसीन पर जिन्हांेने सुशोभित किया है वे कबीर हीं हैं। इनका मानना है कि मानवता का उपकार करना ही इस जगत की सबसे श्रेष्ठ भक्ति है। कबीर के मत में जिस मानव के अन्तः करण में स्नेह का स्फुरण नहीं उठता उसका इस जगत मंे आगमन हीं बेकार है। क्योंकि मनुष्य के जीवन की सफलता स्नेह में ही विद्यमान है। प्रेम हीं उसका उद्देश्य होना चाहिए।
How to cite this article:
डाॅ. कुणाल किशोर. कबीर का हिन्दी साहित्य में योगदान एवं निर्गुण भवित. Int J Appl Res 2024;10(9):125-127.