Vol. 11, Issue 1, Part A (2025)
पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' के कथा साहित्य में निहित संवेदनाओं का समीक्षात्मक अध्ययन
पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' के कथा साहित्य में निहित संवेदनाओं का समीक्षात्मक अध्ययन
Author(s)
किशोर कुमार शर्मा एवं अशोक कुमार गुप्ता
Abstractपरिस्थिति-जन्य एवं सामाजिक दृष्टि से शोषित जीवन व्यतीत करने वाले हिंदी साहित्य के प्रसिद्द साहित्यकार एवं पत्रकार पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' का संबंघ यथार्थवादी लेखन परंपरा से है। अपनी रचनाओं में यथार्थ प्रस्तुत करना उनके जीवन का प्रमुख ध्येय था। उनका विश्वास था कि लेखक स्वतंत्र लेखन हेतु स्वतंत्र होता है और उसकी लेखनी की कोई सीमा नहीं होती। यद्यपि यथार्थ चित्रण पर उनकी समय-समय पर अनेकों आलोचनायें हुईं, परंतु समस्त आलोचनाओं से बेखबर रह कर वह निरंतर यथार्थ चित्रण की दिशा में अग्रसर होते रहे।
उनके द्वारा प्रस्तुत यथार्थ को उनकी समस्त रचनाओं में देखा जा सकता है। बेचन विभिन्न मानवीय संवेदनाओं के सफल चित्रकार थे। उनका समस्त साहित्य मानवीय संवेदनाओं के सफल चित्रण से ओतप्रोत है। प्रेम, वात्सल्य, प्रसन्नता, ईर्ष्या, करुणा, ग्लानि, शोषण, क्रोध आदि अनेकों मानवीय संवेदनाऐं उनके साहित्य में दृष्टिगोचर हैं। प्रमुख रूप से बेचन शर्मा का कथा साहित्य इन मानवीय संवेदनाओं के चित्रण के लिए जाना जाता है जिसके अंतर्गत उन्होंने अपनी कहानियों के पात्रों की संवेदनाओं के यथार्थ चित्रण में जान फूक दी है।
प्रस्तुत शोधपत्र के अंतर्गत शोधार्थी द्वारा पाण्डेय बेचन शर्मा द्वारा सृजित अपने कथा साहित्य में विभिन्न मानवीय संवेदनाओं पर न केवल प्रकाश डाला गया है, अपितु उनकी समकालीन परिदृश्य को ध्यान रखते हुए समीक्षा भी प्रस्तुत की गई है। साथ ही इस तथ्य की पुष्टि की गई है कि साहित्यकार परिस्थितियों द्वारा निर्मित होते हैं जिनसे प्रभावित होकर वे साहित्य की विभिन्न विधाओं से जुड़कर अपनी परिस्थितियों को प्रस्तुत एवं प्रतिबिंबित करते हैं।
How to cite this article:
किशोर कुमार शर्मा एवं अशोक कुमार गुप्ता. पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' के कथा साहित्य में निहित संवेदनाओं का समीक्षात्मक अध्ययन. Int J Appl Res 2025;11(1):28-33. DOI:
10.22271/allresearch.2025.v11.i1a.12253