Vol. 11, Issue 2, Part D (2025)
स्त्रीवादी राजनीति: एक ऐतिहासिक और सैद्धांतिक अध्ययन
स्त्रीवादी राजनीति: एक ऐतिहासिक और सैद्धांतिक अध्ययन
Author(s)
अरुण कुमार, रामकैलाश यादव
Abstract
स्त्रीवादी राजनीति एक ऐसा वैचारिक और व्यावहारिक ढांचा है जो लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और सत्ता संरचनाओं के पुनर्गठन की मांग करता है। यह शोधपत्र स्त्रीवादी राजनीति के ऐतिहासिक विकास और इसके सैद्धांतिक आधारों का विश्लेषण करता है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक, नारीवादी आंदोलनों ने समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर करने के लिए संघर्ष किया है। प्रथम लहर नारीवाद ने मताधिकार और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि दूसरी लहर ने यौन स्वतंत्रता और कार्यस्थल समानता जैसे मुद्दों को उठाया। तीसरी और चौथी लहर ने विविधता, समावेशिता और डिजिटल सक्रियता को अपनाया। यह अध्ययन उदारवादी, मार्क्सवादी, कट्टरपंथी और उत्तर-आधुनिक नारीवादी सिद्धांतों की पड़ताल करता है। भारत में, औपनिवेशिक इतिहास, जाति और धर्म ने नारीवाद को आकार दिया है, जहाँ दलित नारीवाद ने मुख्यधारा के नारीवाद को चुनौती दी। समकालीन चुनौतियों में यौन हिंसा, डिजिटल असमानता और आर्थिक शोषण शामिल हैं, जबकि डिजिटल प्लेटफॉर्म और नीतिगत सुधार संभावनाएँ प्रदान करते हैं। भारत में निर्भया कांड और #MeToo जैसे आंदोलनों ने नारीवादी चेतना को मजबूत किया। यह शोधपत्र ऐतिहासिक साक्ष्यों, नवीनतम शोधों का उपयोग करता है। निष्कर्ष में, यह तर्क दिया गया है कि नारीवादी राजनीति को समावेशी बनाना आवश्यक है ताकि यह सभी वर्गों और पहचानों का प्रतिनिधित्व कर सके। यह अध्ययन नारीवादी राजनीति की प्रासंगिकता और भविष्य की दिशा को रेखांकित करता है।
How to cite this article:
अरुण कुमार, रामकैलाश यादव. स्त्रीवादी राजनीति: एक ऐतिहासिक और सैद्धांतिक अध्ययन. Int J Appl Res 2025;11(2):270-277.