Vol. 11, Issue 4, Part D (2025)
उषा प्रियंवदा के उपन्यास में सामाजिक स्थायित्व : "पचपन खंभे लाल दीवारें "के संदर्भ में
उषा प्रियंवदा के उपन्यास में सामाजिक स्थायित्व : "पचपन खंभे लाल दीवारें "के संदर्भ में
Author(s)
लीना एस
Abstract
यह शोध लेख आधुनिक हिंदी की वरिष्ठ लेखिका श्रीमती उषा प्रियम्वदा के उपन्यास "पचपन खंभे लाल दीवारें" में सामाजिक स्थायित्व की अवधारणा का विश्लेषण करता है। अध्ययन यह दर्शाता है कि उपन्यास कैसे पितृसत्तात्मक संरचनाओं के भीतर महिलाओं के स्वायत्तता, आत्म-अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता के संघर्षों को चित्रित करता है। प्रस्तुत लेख हिंदी साहित्य में उषा प्रियंवदा के योगदान और नारीवादी सिद्धांत तथा सामाजिक स्थायित्व के लिए इसके निहितार्थों को उजागर करता है।
How to cite this article:
लीना एस. उषा प्रियंवदा के उपन्यास में सामाजिक स्थायित्व : "पचपन खंभे लाल दीवारें "के संदर्भ में. Int J Appl Res 2025;11(4):284-287. DOI:
10.22271/allresearch.2025.v11.i4d.12492