Vol. 11, Issue 5, Part A (2025)
डेटा संरक्षण और गोपनीयता का अधिकार
डेटा संरक्षण और गोपनीयता का अधिकार
Author(s)
आलोक कुमार सिंह
Abstractआज के वैश्वीकृत और तकनिकी युग में गोपनीयता को विश्व भर में एक मौलिक मानवाधिकार केरूप में स्वीकार किया जा चूका हैं। भारत में भी इसे भारतीय संविधान के अनु० 21 के अन्तर्गत “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता” के अधिकार के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।
‘गोपनीयता का अधिकार’ सीधे-सीधे व्यक्तिगत डेटा से जुड़ा हुआ हैं। हांलाकी डिजिटल युग में इस अधिकार की रक्षा करना दिन-प्रतिदिन चुनौतिपूर्ण होता जा रहा है। एक ओर डेटा की सुरक्षा के लिए लम्बे समय तक कोई विशिष्ट कानूनी व्यवस्था मौजूद नहीं थी वही दुसरी और सत्ताधारी शक्तियाँ कभी-भी भेदभावपूर्ण कानून का सहारा लेकर इस अधिकार का उलंघन करती हैं भारत में प्रारभिक दौर में गोपनीयता को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार नही किया गया था। साथ ही, नागरिको की व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा हेतु कोई विशेष कानून भी नहीं था। समय के साथ केंद्र सरकार और निजी कम्पनियों पर नागरिको की गोपनीय जानकारी के दुरुपयोग के कई गंभीर आरोप लगे। इस मामलो को अदालत में प्रस्तुत किया गया, जहाँ न्यायालयों ने ऐतिहासिक फैसले दिए और आवश्यक दिशा निर्देश तथा नियम भी निर्धारित किये।
एसे में यह अत्यन्त आवश्यक हो गया की गोपनीयता का अधिकार और डेटा सुरक्षा से जुडे समस्त कानूनी विकासो का समग्र विशलेषण किया जाए जिससे यह समझा जा सके कि भारत की विधि व्यवस्था आम नागरिको को इस क्षेत्र में कितनी सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
हालाँकि यह स्वीकार किया जा सकता हैं की आज भारतीय न्याय प्रणाली ने गोपनीयता के अधिकार को व्यापक पहचान दी हैं और डेटा चोरी व संवेदनशील जानकारी के दुरुपयोग को रोकने हेतु अनेक आवश्यक कदम उठाये गए हैं फिर भी वर्तमान डिजिटल परिदृश्य को देखते हुए, डेटा संरक्षणके क्षेत्र में और अधिकार अवश्यक एवं प्रगतिशील सुधारो की आवश्यकता बनी हुई हैं ताकि हर नागरिक को उनकी निजी जानकारी पर पूर्ण नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
How to cite this article:
आलोक कुमार सिंह. डेटा संरक्षण और गोपनीयता का अधिकार. Int J Appl Res 2025;11(5):01-03.