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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 4, Issue 9, Part A (2018)

आधुनिक जीवन की समस्याओं का एक मात्र समाधान गीता का कर्मयोग

आधुनिक जीवन की समस्याओं का एक मात्र समाधान गीता का कर्मयोग

Author(s)
डाॅ इन्द्रनारायण झा
Abstract
हमारा आधुनिक जीवन भौतिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण तथा बाहरी विकास पर ही केन्द्रित हो गया है। आन्तरिक विकास को उपेक्षित कर मानव जीवन का सन्तुलन तो बिगड़ा ही है। साथ ही विलासिता की भोग सामग्रियों से घिरा मानव भीतर ही भीतर एकंाकी, अपूर्ण व रिक्त सा अनुभव करता है। जीवन के वास्तविक आनन्द की प्राप्ति में गीता की अहम भूमिका है जो भोग में नहीं अपितु कर्म में ही जीवन का आनन्द लेने का सन्देश प्रदान करती है। लगभग सभी विकसित देशों में यह स्थिति समान रूप से समस्या बनकर वहाॅं के नागरिकों के समक्ष खड़ी है। अनिद्रा, बेचैनी, अवसाद, तनाव ने मानव के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिये हैं। परन्तु गीता आज मानव की इन असीमित समस्याओं का एकमात्र समाधान व दृढ़ आधार के रूप में प्रस्तुत है। गीता भोग में अनासक्ति व योग को ही जीवन जीने की शैली के रूप में प्रेरित करती है।
Pages: 36-38  |  1619 Views  164 Downloads
How to cite this article:
डाॅ इन्द्रनारायण झा. आधुनिक जीवन की समस्याओं का एक मात्र समाधान गीता का कर्मयोग. Int J Appl Res 2018;4(9):36-38.
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