Vol. 1, Issue 1, Part E (2014)
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जीवन बीमा निगम की कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ à¤à¤µà¤‚ उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जीवन बीमा निगम की कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ à¤à¤µà¤‚ उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s)
डॉ सदानंद राय
Abstract
à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ योजना जो मानव जीवन में होने वाली कà¥à¤·à¤¤à¤¿ में आरà¥à¤¥à¤¿à¤• रूप से उसकी à¤à¤¾à¤—ीदारी कर सके बीमा कहलता है। विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में हम कह सकते है कि बीमा à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ है जिसके तहत हम अपने जीवन में होने वाली कà¥à¤·à¤¤à¤¿ को विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ लोगों में जो इस योजना में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है, वितà¥à¤¤à¥€à¤¯ आधार पर बॉट सकते हैं। मानव जीवन और उसकी à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ को हमेशा विनाशकारी ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ से हानि या कà¥à¤·à¤¤à¤¿ का खतरा बना रहता है, जिससे उसके जीवन, वाणिजà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ उदà¥à¤¯à¥‹à¤— में अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ असà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ बनी रहती है, और इस असà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ से मानव हमेशा आशंकित रहता है तथा इस अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¤à¤¾ से अपने जीवन और अपनी समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हमेशा उतà¥à¤¸à¥à¤• रहता है।
How to cite this article:
डॉ सदानंद राय. à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जीवन बीमा निगम की कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ à¤à¤µà¤‚ उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Appl Res 2014;1(1):383-386.