Vol. 1, Issue 2, Part C (2015)
आचार्य नरेन्द्र देव के माक्र्सवादी एवं समाजवादी विचारधारा का ऐतिहासिक अध्ययन
आचार्य नरेन्द्र देव के माक्र्सवादी एवं समाजवादी विचारधारा का ऐतिहासिक अध्ययन
Author(s)
डाॅ. प्रिय अशोक
Abstract
आचार्य नरेन्द्रदेव ने माक्र्सवादी सिद्धान्त के आधार पर पूँजीवाद का विश्लेषण करते हुए यह स्पष्ट किया है कि आन्तरिक शक्तियों के परिणाम-स्वरूप किस प्रकार समाज आदिम साम्यवादी युग से आरम्भ होकर आधुनिक युग की पूँजीवादी व्यवस्था तक पहुॅंचता है। पूँजीवाद को वे श्रम के शोषण पर आधारित एक त्रुटिपूर्ण व्यवस्था मानते हैं। आचार्य जी का कहना है कि ‘‘जिस प्रकार धर्म मानवता को विकृत तथा खण्डित करता है उसी प्रकार उत्पादन की पूँजीवादी प्रक्रिया मानव श्रम के गौरव को नष्ट कर देती है। आचार्य जी उन आधुनिक अर्थशास्त्रियों में इतिहास के ज्ञान की कमी मानते हैं और कहते हैं कि वे कोरे अर्थशास्त्री हैं। अर्थशास्त्र के नियम शाश्वत नहीं है, वे सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित होते रहते हैं। इस सन्दर्भ में माक्र्सवाद की इतिहास की गत्यात्मकता को स्वीकार करते हुए वे कहते हैं कि यदि आर्थिक नियम अटल होते तो सामाजिक तथा आर्थिक विकास की सम्भावना ही न रह पाती। पूँजीवादी राज्य का विवेचन करते हुए आचार्य जी लिखते हैं कि राजनीतिक स्वतंत्रता मानव को स्वतंत्र नहीं करती। वर्तमान सामाजिक प्रणाली पूँजीवादी है। आचार्य जी का मत है कि पूँजीवादी उत्पादन यहाँं मुट्ठी भर पूँजीपतियों में सम्पत्ति को केंद्रित करता है वहाँ वह असंख्य अकिंचन भी पैदा करता है। इस सर्वहारा मजदूर के प्रति सहृदयता दशति हुए वे स्वीकारते हैं कि वर्तमान प्रणाली के दोषों को दूर करने का साधन सर्वहारा मजदूर ही हैै। यहाँ उनका मत माक्र्सवाद लेनिनवाद के प्रोलेटेरियेट के समान है। आचार्य जी मजदूर वर्ग को समाजवादी क्रान्ति का अग्रदूत मानते हैं उनकी धारणा है कि जिस समाज में उत्कृष्टता की कसौटी धन हो, उसका पतनोन्मुख होना सुनिश्चित हैं
How to cite this article:
डाॅ. प्रिय अशोक. आचार्य नरेन्द्र देव के माक्र्सवादी एवं समाजवादी विचारधारा का ऐतिहासिक अध्ययन. Int J Appl Res 2015;1(2):192-195.