Vol. 1, Issue 2, Part C (2015)
शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤—à¥à¤°à¤¹ का आकारद-विवेचन
शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤—à¥à¤°à¤¹ का आकारद-विवेचन
Author(s)
डाॅ. यà¥à¤—लकिशोर शरà¥à¤®à¤¾
Abstract
शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤—à¥à¤°à¤¹ की आकारद-विवेचन दृशà¥à¤¯à¤—त-बोध à¤à¤µà¤‚ गतà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤•-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ से सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ किया गया है। आज की दृशà¥à¤¯-कलाओं के संदरà¥à¤ में यह बात सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ है कि दृशà¥à¤¯à¤—त कलाओं का अपना ही दृशà¥à¤¯à¤—त रचना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प होता है जिससे सीधे समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• कर दरà¥à¤¶à¤¨ का मन आलोडित होता है। यह रचना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प à¤à¤• चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª-सा पडा रचना-पिणà¥à¤¡ न होकर आकारद ततà¥à¤µà¥‹à¤‚, गतियों, लयों व तानों का à¤à¤• गतिक रूप होता है जिसे मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥€ विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ में गतिक निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ कहा गया है, विशेषकर रूडोलà¥à¤« अरà¥à¤¨à¤¹à¤¾à¤‡à¤® ने। इसी परिवेश में शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤—à¥à¤°à¤¹ की आकारद विवेचना की गई है।
How to cite this article:
डाॅ. यà¥à¤—लकिशोर शरà¥à¤®à¤¾. शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤—à¥à¤°à¤¹ का आकारद-विवेचन. Int J Appl Res 2015;1(2):223-224.