Vol. 1, Issue 2, Part D (2015)
जयपुर की भित्तिचित्रण जनकला
जयपुर की भित्तिचित्रण जनकला
Author(s)
डाॅ. अनिल गुप्ता
Abstract
आज जनकला का स्वरूप अत्यधिक सौन्दर्यपूर्ण एवं विशाल है। यह माना जा सकता है कि प्राचीन समय में इस कला को पब्लिक आर्ट नहीं कहा जाता था, परन्तु उसके मायने और उद्देश्य समान थे। जनकला के कई पहलू होते हैं, जनकला में कलाकार अपना योगदान देता तो है परन्तु वह अपनी सोच पर आधारित कृति का निर्माण नहीं करता है। वह दृष्टि आयोजक अथवा शासक या अधिकारी की होती है। यह अलग-अलग लोगों को अलग-अलग आभास देता है और वे निजी स्तर पर उसका आन्द लेते हैं।
How to cite this article:
डाॅ. अनिल गुप्ता. जयपुर की भित्तिचित्रण जनकला. Int J Appl Res 2015;1(2):244-246.