सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ के शिकà¥à¤·à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ के शिकà¥à¤·à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s)
डाॅ. मधॠकानà¥à¤¤ à¤à¤¾
Abstract
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ रतà¥à¤¨ à¤à¤• जीवित कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के मिशाल थे, à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नही à¤à¤• चमतà¥à¤•à¤¾à¤° थे। आज से पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ à¤à¤• सदी पहले पराधीन और पददलित à¤à¤¾à¤°à¤¤ के जिस à¤à¤•à¤¾à¤•à¥€ और अंकिचन योदà¥à¤§à¤¾ संयासी ने हजारों मील दूर विदेश में नितांत अपरिचितों के बीच अपनी ओजमयी वाणी में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥à¤® साधना के चिरंतन सतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जयघोष किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ सामायिक à¤à¤¾à¤°à¤¤ में उन कà¥à¤¶à¤² शिलà¥à¤ªà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ आधाराà¤à¥‚त à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जीवन मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की आधà¥à¤¨à¤¿à¤• अंतराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में विवेक संगत वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ के जीवन कोश में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नव निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के उरà¥à¤µà¤° बीच यतà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• संकलित है ही, उसमें पीड़ित और जरà¥à¤œà¤°à¤¿à¤¤ मानवता के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¸à¥ƒà¤œà¤¨ की कारà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• कारà¥à¤¯à¤¸à¤¾à¤§à¤¨ योजना à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के विचार चिंतन और संदेश पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ के लिठअमूलà¥à¤¯ धरोहर है तथा उनके जीवन शैली और आदरà¥à¤¶ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥‡ यà¥à¤µà¤¾ पीà¥à¥€ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकानंद ने अपने जीवन का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨ लकà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ शिकà¥à¤·à¤¾ तथा धरà¥à¤® के समगà¥à¤°à¤¤à¤¾ के संबंध ने आज हमारे सामने विशेषकर यà¥à¤µà¤¾ पीà¥à¥€ के लिठयह आहà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤¨ कि “मानव सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µ गौरव को कà¤à¥€ मत à¤à¥‚लो । हममें से पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यह घोषणा करेें कि मैं ही ईशà¥à¤µà¤° हूठजिससे बड़ा कोई न हà¥à¤† है और न ही होगा। उनके विचारानà¥à¤¸à¤¾à¤° शिकà¥à¤·à¤¾ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ केवल जानकारी देना मातà¥à¤° नही है अपितॠउसका लकà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन चरितà¥à¤° और मानव का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना होता है। चूंकि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ उन ततà¥à¤µà¥‹à¤‚से यà¥à¤•à¥à¤¤ नही है अतः वह शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ शिकà¥à¤·à¤¾ नही है। वे शिकà¥à¤·à¤¾ के वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ रूप को अà¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• बताते थे जिसमें विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नही होता। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की गà¥à¤°à¥‚ शिषà¥à¤¯ परंपरा जिसमें विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ में निकटता के संबंध नया संपरà¥à¤• रह सकें तथा विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨, धैरà¥à¤¯, विशà¥à¤µà¤¾à¤¸, विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ आदि के शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का विकास हो सके। वे धरà¥à¤® के संबंध में किसी à¤à¤• धरà¥à¤® को पà¥à¤°à¤¾à¤¿à¤¿à¤®à¤•à¤¤à¤¾ नही देते थे, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी मानव धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दृॠपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤ž थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ धारà¥à¤®à¤¿à¤• संकीरà¥à¤£à¤¤à¤¾ से ऊपर उठते हà¥à¤ यह घोषणा की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• धरà¥à¤®, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ जिस à¤à¤¾à¤µ में ईशà¥à¤µà¤° की आराधना करता है, मैं उनमे से पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• यके साथ ठीक उसी à¤à¤¾à¤µ से आराधन करूंगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बाईबिल, वेद, गीता, कà¥à¤°à¤¾à¤¨ तथा अनà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤‚थ समूह मानों ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में के à¤à¤•-à¤à¤• पृषà¥à¤ है। वे पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• धरà¥à¤® को महतà¥à¤µ देते थे तथा उनके सारà¤à¥‚त ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ को जो मानव जीवन को उनका चरितà¥à¤° तथा जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने में सकà¥à¤·à¤® हो को अपनाने का आहवान करते थे जिसे à¤à¤• नाम दिया गया “सरà¥à¤µ धरà¥à¤® समà¥à¤à¤¾à¤µ”। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• धरà¥à¤® के विषय में कहा कि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जनà¥à¤® से हिनà¥à¤¦à¥‚, ईसाई, मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®, सिकà¥à¤– या अनà¥à¤¯ धरà¥à¤® के नहीं होते। उनके अपने माता पिाता, पूरà¥à¤µà¤œ जिस संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संसà¥à¤•à¤¾à¤° या परंपर से जà¥à¥œà¥‡ रहते है। वे उसे सीखते और आजà¥à¤žà¤¾ पालन करने वाले होते हैं। मानव से बà¥à¤•à¤° और कोई सेवा शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ नही है और यहीं से शà¥à¤°à¥‚ होता है वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• मानव की जीवन यातà¥à¤°à¤¾à¥¤ हमें आज आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ पर चलने हेतॠदृॠपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤ž होने, उनके शिकà¥à¤·à¤¾ विचार संदेश तथा दरà¥à¤¶à¤¨ को साकार रूप में अपना लेने की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के जीवन शैली को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करके जन जन में à¤à¤•à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¥‡à¤® और दया की नदियाठबहाकर नठयà¥à¤• की शà¥à¤°à¥‚आत करने की। तो आईये जाति, धरà¥à¤®, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯, पंथ और अनà¥à¤¯ संकीरà¥à¤£ मानसिकता से ऊपर उठकर à¤à¤• दूसरे का हाथ थामकर माठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ को समृदà¥à¤§à¤¿, विकास और उपलबà¥à¤§à¤¿ की ओर ले जाà¤à¥¤