Vol. 2, Issue 1, Part D (2016)
मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विकास में लौह उपयोग का योगदानः à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विकास में लौह उपयोग का योगदानः à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s)
ललित कà¥à¤®à¤¾à¤° à¤à¤¾
Abstract
मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विकास में लौह उपयोग का बहà¥à¤¤ बड़ा योगदान रहा है। पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤• खोंजों से अबतक का जो पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मिला है उससे यही संकेतित है कि पà¥à¤°à¤¥à¤® सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¬à¥à¤¦à¥€ ई0 पू० 50 के पà¥à¤°à¤¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¦à¥à¤§ में इस अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ ही उपयोगी धातॠकी तकनीक गंगा के विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ मैदान तथा इसके उचà¥à¤š तटवरà¥à¤¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में विकसित थी। इन दोनों ही कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में जिस तरह की सामाजिक-आरà¥à¤¥à¤¿à¤• संरचना दीखती है उसकी पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ घूसर मृदमाणà¥à¤¡ (पी0 जी0 वेयर) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¥à¤® लौह काल से समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ कही जा सकती है। पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ की राय में इस कालखणà¥à¤¡ में पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ जहाठजैसी मानवीय बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ आबाद हà¥à¤ˆ उनका सीधा या पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ घूसर à¤à¤¾à¤£à¥à¤¡ वाली संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से था। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ उपमहादà¥à¤µà¥€à¤ª में इसका पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° बहà¥à¤¤ ही वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• à¤à¤µà¤‚ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° वाला है। उतà¥à¤–नन आधारित साकà¥à¤·à¥à¤¯ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का बहावलपà¥à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पंजाब, हरियाणा और पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ तथा राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के सीमानà¥à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° इसी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की परिधि में आते थे। à¤à¤¸à¤¾ नहीं कि इस संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के विकास की अवधि छोटी थी बलà¥à¤•à¤¿ कहना यह चाहिये कि तीन शताबà¥à¤¦à¥€ या इससे कà¥à¤› अधिक कालखणà¥à¤¡ तक इसका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ कायम रहा। यही वही कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° है जहाठकà¤à¥€ इतिहास पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤‚, कà¥à¤°à¥‚ पांचालों, शूरसेनों और मतà¥à¤¸à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आधिपतà¥à¤¯ का परचम लहराया करता था। कथन का यह अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ à¤à¥€ नहीं कि चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ घूसर à¤à¤¾à¤£à¥à¤¡ वाली संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का उनà¥à¥à¤®à¥‡à¤· केवल इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में हà¥à¤† और देश के अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— इससे अछूते रहे। यह वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ है कि लगà¤à¤— 1000 ई0० पू0 से उतà¥à¤¤à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नये पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के à¤à¤¾à¤£à¥à¤¡ सीधे तौर पर पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में आने लगे थे। मानव बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ पी0 जी0 वेयर जैसे à¤à¤¾à¤£à¥à¤¡ का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ बहà¥à¤¤ घना दीखता है । अबतक 700 से à¤à¥€ अधिक सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ इस सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ के माणà¥à¤¡ के साथ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¤¾ है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पतà¥à¤° में मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विकास में लौह उपयोग के योगदान पर चरà¥à¤šà¤¾ की गई है।
How to cite this article:
ललित कà¥à¤®à¤¾à¤° à¤à¤¾. मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विकास में लौह उपयोग का योगदानः à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Appl Res 2016;2(1):259-261.