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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 2, Issue 1, Part G (2016)

धर्मशास्त्र के क्षेत्र में चण्डेश्वर का अवदान

धर्मशास्त्र के क्षेत्र में चण्डेश्वर का अवदान

Author(s)
मीनाक्षी कुमारी
Abstract
लगभग सवा दौ सौ वर्षों के कर्णाट शासनकाल में मिथिला में बौद्धिक पुनर्जागरण की एक लहर उत्पन्न हुई जिनके प्रमुख प्रतिनिधि थे प्रकांड विद्वान चिन्तक एवं मनीषी चण्डेश्वर ठाकुर। मिथिला के कर्णाट वंशीय राजाओं का शासनकाल न सिर्फ मिथिला अपितु मध्यकालीन भारतीय इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण है। प्रस्तुत शोध प्रबंध "धर्मशास़्त्र के क्षेत्र में चण्डेश्वर का अवदान" में बताया गया है कि चण्डेश्वर ने न केवल राज्यशास्त्र बल्कि धर्मशास्त्र के क्षेत्र में भी बहुमुल्य योगदान दिया है। परंपरागत दृष्टि में राज्यशास्त्र, राजधर्म भी धर्मशास्त्र के अंतर्गत है किन्तु यहाँ धर्मशास्त्र को पृथक रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
Pages: 473-475  |  532 Views  104 Downloads
How to cite this article:
मीनाक्षी कुमारी. धर्मशास्त्र के क्षेत्र में चण्डेश्वर का अवदान. Int J Appl Res 2016;2(1):473-475.
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