Vol. 2, Issue 1, Part M (2016)
राजस्थानी लघुचित्रण परम्पराः सांस्कृतिक जागरण में योगदान
राजस्थानी लघुचित्रण परम्पराः सांस्कृतिक जागरण में योगदान
Author(s)
डाॅ. अरविन्द मैन्दोला
Abstract
भारतीय परिदृश्य में राजस्थान का सांस्कृतिक वैभव बेजोड़ है। राजस्थान के कलात्मक और सांस्कृतिक जीवन से यहां का इतिहास बहुत धनिष्ठ रहा है। प्रागैतिहासिक युग में राजस्थान की कलात्म्क संस्कृति का बीजारोपण हुआ जिसमें मौलिक एकता, राष्ट्रीयता और आन्तर्राष्ट्रीयता के प्रच्छन्न रूप के विकास की प्रक्रियाएँ आरम्भ हुयी। राजस्थान में छठी शताब्दी सम्राटों की सहिष्णु नीति के कारण राजस्थान उनकी सांसकृतिक उपलब्धियों का भागीदा बना। जिनका सम्बन्ध जनजीवन से घनिष्ठता साधे हुये है। राजस्थानी सांस्कृतिक कला परम्परा में लघुचित्रण परम्परा का जन्म राजस्थान में ही हुआ और अन्य भारतीय शैलियों से प्रभावित होती हुयी यह स्वतन्त्र रूप से विकास क्रम में पल्लवित होती रही है।
How to cite this article:
डाॅ. अरविन्द मैन्दोला. राजस्थानी लघुचित्रण परम्पराः सांस्कृतिक जागरण में योगदान. Int J Appl Res 2016;2(1):933-934.