Vol. 2, Issue 11, Part D (2016)
मà¥à¤‚शी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° का हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ में योगदानः à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾
मà¥à¤‚शी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° का हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ में योगदानः à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾
Author(s)
सà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾
Abstract
हिनà¥à¤¦à¥€ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ इतनी गहरी और विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रंगों से à¤à¤°à¤ªà¥‚र है की इस छोटे से लेख में इस विषय को नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ देना असंà¤à¤µ ही है। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ ने हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ को निषà¥à¤šà¤¿à¤¤ दिषा दी है। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ आज à¤à¥€ उतने ही पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है जिनते अपने दौर में रहे हैं, बलà¥à¤•à¤¿ किसान जीवन की उनकी पकड और समठको देखते हà¥à¤ उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता और अधिक बॠजाती है। किसान जीवन के यथारà¥à¤¥à¤µà¤¾à¤¦à¥€ चितà¥à¤°à¤£ में पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ में अनूठे और लाजवाब रचनाकार रहे हैं। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ का कथा साहितà¥à¤¯ जितना समकालीन परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर खरा उतरता है, उतना ही बहà¥à¤¤ हद तक आज à¤à¥€ दिखाई देता है। उनकी रचनाओं में गरीब शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤•, किसान और सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जीवन का सषकà¥à¤¤ चितà¥à¤°à¤£ उनकी दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ कहानियों और उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में हà¥à¤† है, ‘सदà¥à¤—ति’, ‘कफन’, ‘पूस की रात’ और ‘गोदान’ में मिलता है। ‘रंगà¤à¥‚मि’, ‘पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤®’ और ‘गोदान’ के किसान आज à¤à¥€ गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ में देखे जा सकते हैं साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ का योगदान अतà¥à¤²à¤¨à¥€à¤¯ है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहानी और उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के माधà¥à¤¯à¤® से लोगों को साहितà¥à¤¯ से जोड़ने का काम किया, उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखे गठउपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ और कहानियाठआज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक हैं।
How to cite this article:
सà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾. मà¥à¤‚शी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° का हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ में योगदानः à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾. Int J Appl Res 2016;2(11):269-274. DOI:
10.22271/allresearch.2016.v2.i11d.10863