Vol. 2, Issue 3, Part C (2016)
हेलाराज की टीका के आलोक में à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿-दरà¥à¤¶à¤¨ का वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨
हेलाराज की टीका के आलोक में à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿-दरà¥à¤¶à¤¨ का वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨
Author(s)
डॉ. मीरा शरà¥à¤®à¤¾
Abstract
वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£–दरà¥à¤¶à¤¨ दरà¥à¤¶à¤¨à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° की à¤à¤• विधा है। à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤ ‘वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯à¤®à¥’ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£–दरà¥à¤¶à¤¨ का à¤à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ माना जाता है। यही कारण है कि वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ नामक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£–दरà¥à¤¶à¤¨ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ होने के कारण केवल वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ के अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾à¤“ं के लिठही नहीं; अपितॠदरà¥à¤¶à¤¨ के अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾à¤“ं के लिठà¤à¥€ महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ के तीनों काणà¥à¤¡–बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡, वाकà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ और पदकाणà¥à¤¡, वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ में महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखते हैं किनà¥à¤¤à¥ वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ वह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है जो विशेष रूप से पद और वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है। पà¥à¤°à¤¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ में शबà¥à¤¦à¤¬à¥à¤°à¤¹à¥à¤® के सà¥à¤µà¤°à¥‚प का विमरà¥à¤¶ होने के कारण, वह काणà¥à¤¡ समगà¥à¤° वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¥‚त मूलततà¥à¤¤à¥à¤µ का विशद वरà¥à¤£à¤¨ करता है। वैयाकरणों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वाकà¥à¤¯ ही लौकिक वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का साधन होता है, इसलिठवरà¥à¤£, पद की अपेकà¥à¤·à¤¾ वाकà¥à¤¯ ही पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ होता है। वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ के नाम से ही सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है कि यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ केवल वाकà¥à¤¯ से ही नहीं अपितॠवाकà¥à¤¯ जिन पदों से बनता है उससे à¤à¥€ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ है। अतः वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ के तीनों काणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®–वाकà¥à¤¯–पद तीनों का विशद रूप से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया गया है। à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿ का यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ केवल मूल कारिकाओं में निबदà¥à¤§ है, जिस कारण अनेकशः अनेक सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर कारिकाओं में निहित à¤à¤¾à¤µ को समà¤à¤¨à¤¾ कठिन हो जाता है। à¤à¤¸à¥‡ में वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखी गई टीकाओं के आलोक में उन कारिकाओं का अरà¥à¤¥ समà¤à¤¾ जाता है। अतः मेरे शोध–पतà¥à¤° का विषय है–‘हेलाराज की टीका के आलोक में à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿–दरà¥à¤¶à¤¨ का वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥¤ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पतà¥à¤° में मेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वाकà¥à¤¯à¤ªà¤¦à¥€à¤¯ के तृतीय काणà¥à¤¡ पर उपलबà¥à¤§ होने वाली हेलाराज की टीका के माधà¥à¤¯à¤® से पदकाणà¥à¤¡ की कारिकाओं में निहित गूढ़ अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ को समà¤à¤¨à¥‡ की पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿ का विशद रूप से विवेचन किया गया है। इस पतà¥à¤° के माधà¥à¤¯à¤® से अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ पर लिखी गई टीकाओं की सहायता से उन मूल गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ मे पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने की दिशा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगी। आज जबकि विशà¥à¤µ में à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿ के à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ को लेकर दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚, à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤µà¥ˆà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ à¤à¤µ मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के बीच रà¥à¤šà¤¿ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है, इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿ के दरà¥à¤¶à¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने के इचà¥à¤›à¥à¤• पाठकों के लिठदिशा–निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ का कारà¥à¤¯ करेगा।
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डॉ. मीरा शरà¥à¤®à¤¾. हेलाराज की टीका के आलोक में à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿-दरà¥à¤¶à¤¨ का वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨. Int J Appl Res 2016;2(3):166-170.