Vol. 2, Issue 3, Part H (2016)
कला समीक्षा का बदलता स्वरूप
कला समीक्षा का बदलता स्वरूप
Author(s)
डाॅ. दीपक भारद्वाज
Abstract
कला समीक्षकों, मनीषियों तथा विवेचनाशील कला इतिहासकारों ने विभिन्न कलाधारायें प्रवाहित करने वाले कलाकारों से समय-समय पर हमारा साक्षात्कार कराया हैं। पहले कलाकार और कला प्रेमी होते थे उनकी जगह अब कलाकार व बाजार है। पहले कलाकार चाहता था कि लोग उसकी प्रदर्शनियों में आये उसके कार्य को देखे, उसकी सराहना करें, आलोचना करे। लेकिन आज कलाकार केवल बाजार के लिये कार्य करते हैं। गम्भीर कला समीक्षा समाप्त हो गयी हेंै। अतः कला के क्षेत्र में गम्भीरता लानी है तो कला समीक्षा को पुनः स्थापित करना होगा।
How to cite this article:
डाॅ. दीपक भारद्वाज. कला समीक्षा का बदलता स्वरूप. Int J Appl Res 2016;2(3):490-492.