Vol. 2, Issue 3, Part K (2016)
संस्कृत अध्ययन का प्रयोजन
संस्कृत अध्ययन का प्रयोजन
Author(s)
डॉ. सर्वजीत दुबे
Abstract
प्रायः लोग पूछते हैं कि आज संस्कृत भाषा के लिए कोई क्यूंकर समय और श्रम लगाए? निश्चितरूपेण पद,पैसा और प्रतिष्ठा के अर्जन में आज संस्कृत का बहुत बड़ा योगदान नहीं है, लेकिन आज जीवन पद-पैसा-प्रतिष्ठा के साथ शांति और सार्थकता की भी मांग कर रहा है। पश्चिम में धन खूब बढ़ा लेकिन मन बहुत नीचे गिर गया। 'पानी बिच मीन पियासी' कबीर की यह कहावत पश्चिमी देशों को देखकर समझ में आ सकती हैं। इसीलिए पश्चिम के विद्वान संस्कृत से परिचित होने के बाद संस्कृत का भाषावैज्ञानिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक लाभ लेने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में भारतीयों पर संस्कृत भाषा और उसमें निहित ज्ञान को बचाने का ऋषि-ऋण है।
How to cite this article:
डॉ. सर्वजीत दुबे. संस्कृत अध्ययन का प्रयोजन. Int J Appl Res 2016;2(3):662-667.