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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 2, Issue 7, Part H (2016)

वर्तमान संदर्भ में कबीर के व्यंग्य की प्रासंगिकता

वर्तमान संदर्भ में कबीर के व्यंग्य की प्रासंगिकता

Author(s)
गुंजन कुमारी
Abstract
संसार में मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठापना हेतु जिन-जिन महापुरुषों ने अपने जीवन काल में मानव हित के लिए संघर्ष करते रहे हैं, उनकी प्रासंगिकता प्रत्येक युग में ज्यों की त्यों बनी रहती है और तब तक बनी रहेगी जब तक मनुष्य का अस्तित्व कायम रहेगा। वैसे भी मानवतावाद ही एक ऐसा मुख्य साधन है तो एक ऐसे समाज का निर्माण करता है जिसमें समता, सदाचार तथा नैतिकता की नींव कायम रहती है।
Pages: 569-570  |  1524 Views  1012 Downloads


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How to cite this article:
गुंजन कुमारी. वर्तमान संदर्भ में कबीर के व्यंग्य की प्रासंगिकता. Int J Appl Res 2016;2(7):569-570.
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