Vol. 2, Issue 8, Part B (2016)
गरदड़ा (बूनà¥à¤¦à¥€, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨) कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के शैल-चितà¥à¤°
गरदड़ा (बूनà¥à¤¦à¥€, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨) कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के शैल-चितà¥à¤°
Author(s)
डॉ. अरविनà¥à¤¦ मैनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¾
Abstract
रूप और अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दोनों ही कला के समान सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤—ैतिहासिक काल से आधà¥à¤¨à¤¿à¤• काल की समकालीन कला इसी विकास कà¥à¤°à¤® को दरà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥€ हैं। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के बूनà¥à¤¦à¥€ जिले से 70 किलोमीटर दूर गरड़दा के शैल-चितà¥à¤° आदिम अवसà¥à¤¥à¤¾ की मूल सृजन पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का परिणाम हैं। यहाठके चितà¥à¤° पाषाण कालीन यà¥à¤— का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करते हैं। इन चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ से तातà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ मानव की अतः चेतना का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है साथ ही इसकी संघरà¥à¤·à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन तथा विषमतम परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ होने वाली मौलिक अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯-बोध का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मिलता हैं। गरड़दा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ से उसकी चेतना में निहीत सृजनषीलता, मौलिकता और सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ बोध का à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मिलता हैं।
How to cite this article:
डॉ. अरविनà¥à¤¦ मैनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¾. गरदड़ा (बूनà¥à¤¦à¥€, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨) कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के शैल-चितà¥à¤°. Int J Appl Res 2016;2(8):126-127.