Vol. 2, Issue 9, Part L (2016)
जैव विविधता के संरकà¥à¤·à¤£ पर शिकà¥à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ
जैव विविधता के संरकà¥à¤·à¤£ पर शिकà¥à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ
Author(s)
डॉ. नीलम तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी, अलका रानी, अनà¥à¤œà¥‚ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी
Abstract
जैव विविधता संरकà¥à¤·à¤£ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ और अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤œà¥‡à¤£à¥à¤¡à¤¾ में तेजी से मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की है। जैव विविधता पर करà¥à¤°à¥à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ में जैव विविधता को हमारी ओर आने वाली पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करने के लिठà¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिलाया है। इसकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लगà¤à¤— 20 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद à¤à¥€ परिणाम अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं है। 2010 सी0बी0डी0 लकà¥à¤·à¥à¤¯ के नवीनतम संसोधन में दिखाया गया है सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ की कमी और जैव विविधता से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर जागरूकता सहित विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कारक सी0बी0डी0 के कारà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¯à¤¨ को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कर सकते है। वैशà¥à¤µà¤¿à¤• जैव विविधता के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से सबसे अमीर ठिकानों में से à¤à¤• है। अपने सà¥à¤µà¤‚य के हित के लिठऔर साथ ही साथ पूरी मानव जाति के लिठजैव विविधता की बात तब तक संà¤à¤µ नहीं है जब तक मानव समाज नहीं बन जाता। इस कारà¥à¤¯ में औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरह की शिकà¥à¤·à¤¾ की महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¨à¥€ है। समाज की पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ पीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से नये विचानों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अधिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§à¥€ होती हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ आदतों और विचारों को तà¥à¤¯à¤¾à¤—ना बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। दूसरी ओर यà¥à¤µà¤¾ पीà¥à¥€ से समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• करना बहà¥à¤¤ आसान है और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नई वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं से अवगत कराना à¤à¥€ सरल है। इसलिठबचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की शिकà¥à¤·à¤¾ पर जोर देना होगा कि वे न केवल कल के परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ को उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से अपनाये बलà¥à¤•à¤¿ बिना देरी किये आवशà¥à¤¯à¤• परिवरà¥à¤¤à¤¨ à¤à¥€ करें। जैव विविधता शिकà¥à¤·à¤¾ को अनà¥à¤œà¤¾à¤® दिया गया और कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सफलताओं और विफलताओं का दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œà¥€à¤•à¤°à¤£ किया गया है। वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• साहितà¥à¤¯ समीकà¥à¤·à¤¾ के आधार पर हमने चार पà¥à¤°à¤®à¥à¤– चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पहचान कीः जैव विविधता शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठदृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ को परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾, जैव विविधता à¤à¤• गलत परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ अवधारणा के रूप में, उचित संचार और लोगों और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के बीच वियोग। ये शैकà¥à¤·à¤¿à¤• लकà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की उपलबà¥à¤§à¤¿ में बाधाओं का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करती है। लगà¤à¤— 3.8 बिलियन वरà¥à¤· पहले पृथà¥à¤µà¥€ पर जीवन की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के समय से पृथà¥à¤µà¥€ पर जीवों में बहà¥à¤¤ अधिक विविधीकरण हà¥à¤† है। जैवविविधता, जैवीय संगठन के सà¤à¥€ सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कà¥à¤² विविधता को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥€ है। इनमें से आनà¥à¤µà¤‚शिक, जातीय तथा पारितंतà¥à¤° विविधता अधिक महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं और सà¤à¥€ संरकà¥à¤·à¤£ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸, इन सà¤à¥€ सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ पर विविधता को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से किठगठहैं।
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डॉ. नीलम तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी, अलका रानी, अनà¥à¤œà¥‚ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी. जैव विविधता के संरकà¥à¤·à¤£ पर शिकà¥à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ. Int J Appl Res 2016;2(9):891-894.