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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 1, Part L (2017)

‘कथा एक कंस की’ नाटक में प्रयोगधर्मिता

‘कथा एक कंस की’ नाटक में प्रयोगधर्मिता

Author(s)
डॉ॰ ममता
Abstract
नाटककार दयाप्रकाश सिन्हा ने ‘कथा एक कंस की’ नाटक में कंस के मूल चरित्र से छेड़छाड़ किए बिना इसे समकालीन राजनीतिक स्थितियों से जोड़ने का सार्थक प्रयास किया है। नाटक में कंस के चरित्र के दो पहलू उभरकर आते हैं। एक ओर कंस एक क्रूर, आततायी निरंकुश शासक के रूप में दिखता है, वहीं दूसरी तरफ वह एक संगीत प्रेमी, भावुक, अकेलेपन का शिकार, उदास और निराशा में डूबे हुए संवेदनशील व्यक्ति के रूप में दिखाई देता है। उसके चरित्र का यह अन्तर्विरोध इस नाटक की कथावस्तु को गति प्रदान करता है। नाटककार पौराणिक आख्यान के माध्यम से समकालीन स्थितियों, चुनौतियों एवं विडंबनाओं को उजागर करने में सफल रहा है। दूसरे शब्दों में कहे तो कह सकते हैं कि कंस के पौराणिक पात्र को आधुनिक संदर्भों में पुनःसृजित करने में दया प्रकाश सिन्हा सफल रहे है।
Pages: 1039-1042  |  2665 Views  2237 Downloads
How to cite this article:
डॉ॰ ममता. ‘कथा एक कंस की’ नाटक में प्रयोगधर्मिता. Int J Appl Res 2017;3(1):1039-1042.
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