Vol. 3, Issue 10, Part D (2017)
समाजोपकारक आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤¯à¤£
समाजोपकारक आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤¯à¤£
Author(s)
डॉ. अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° दà¥à¤¬à¥‡
Abstractà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का समà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤°à¤¤à¥à¤¨ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤¯à¤£ में महरà¥à¤·à¤¿ वादरायण वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी ने शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿, सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤£ और इतिहासादि में उदà¥à¤§à¥ƒà¤¤ धरà¥à¤®à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ जीवनमूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ की है। वासà¥à¤¤à¤µ में मानव धरà¥à¤® का अनà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ करने वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही à¤à¤• उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ परिवार, समाज और à¤à¤• आदरà¥à¤¶ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर सकता है। वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी ने नैतिकता के चाक पर आदरà¥à¤¶ पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सà¥à¤µà¤°à¥‚प सृजित किया है। अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤¯à¤£ के सà¤à¥€ पातà¥à¤° धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤• गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हैं। जो अपने आवरण से समाजोपकारक सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देते हैं। आज जहां अधिकांश परिवारों में धन-समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ गृह कलह का कारण बन रही है। जहाठपà¥à¤¤à¥à¤° अपने पिता से समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के लिठउलठपड़ता है, वहाठà¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ और मोह जलधि में डूबते लोगों के लिठराम और à¤à¤°à¤¤ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— तथा लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ का सेवा à¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ बनकर खड़ा है।
न मे à¤à¥‹à¤—ागमे वा॰छा न मे à¤à¥‹à¤—विवरà¥à¤œà¤¨à¥‡à¥¤
आगचà¥à¤›à¤¤à¥à¤µà¤¥ मागचà¥à¤›à¤¾à¤µà¤à¥‹à¤—वशगो à¤à¤µà¥‡à¤¤à¥à¥¤à¥¤
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डॉ. अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° दà¥à¤¬à¥‡. समाजोपकारक आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤¯à¤£. Int J Appl Res 2017;3(10):282-285.