Vol. 3, Issue 10, Part D (2017)
समाजोपकारक आध्यात्मरामायण
समाजोपकारक आध्यात्मरामायण
Author(s)
डॉ. अशोक कुमार दुबे
Abstractभारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का सम्पोषक ग्रन्थरत्न अध्यात्मरामायण में महर्षि वादरायण व्यास जी ने श्रुति, स्मृति, पुराण और इतिहासादि में उद्धृत धर्मयुक्त जीवनमूल्यों को स्थापित करने की चेष्टा की है। वास्तव में मानव धर्म का अनुपालन करने वाला मनुष्य ही एक उत्कृष्ट परिवार, समाज और एक आदर्श राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। वेदव्यास जी ने नैतिकता के चाक पर आदर्श पात्रों का सुन्दर स्वरूप सृजित किया है। अध्यात्मरामायण के सभी पात्र धर्मपरक गुणों से युक्त हैं। जो अपने आवरण से समाजोपकारक सन्देश देते हैं। आज जहां अधिकांश परिवारों में धन-सम्पत्ति गृह कलह का कारण बन रही है। जहाँ पुत्र अपने पिता से सम्पत्ति के लिए उलझ पड़ता है, वहाँ ऐसे स्वार्थी और मोह जलधि में डूबते लोगों के लिए राम और भरत का त्याग तथा लक्ष्मण का सेवा भाव प्रकाश स्तम्भ बनकर खड़ा है।
न मे भोगागमे वा॰छा न मे भोगविवर्जने।
आगच्छत्वथ मागच्छावभोगवशगो भवेत्।।
How to cite this article:
डॉ. अशोक कुमार दुबे. समाजोपकारक आध्यात्मरामायण. Int J Appl Res 2017;3(10):282-285.