Vol. 3, Issue 10, Part E (2017)
1857 की जनकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति में पीर अली की à¤à¥‚मिका
1857 की जनकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति में पीर अली की à¤à¥‚मिका
Author(s)
मो. जमील हसन अंसारी
Abstract
1857 ई. का वà¥à¤°à¤¿à¤¦à¥‹à¤¹ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® की अतà¥à¤¯à¤‚त ही महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ घटना मानी जाती है। दरअसल, 1857 ई. के पà¥à¤°à¤¥à¤® संगठित विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ को ‘पà¥à¤°à¤¥à¤® मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ संगà¥à¤°à¤¾à¤®’ à¤à¥€ माना जाता है। आमतौर पर लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के साथ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ नीति से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ थे बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन के 100 वरà¥à¤·à¥‹ के à¤à¥€à¤¤à¤° बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ समाज के हर वरà¥à¤—, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· या परोकà¥à¤· रूप से बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ थे। नतीजतन, राजा से à¤à¤• आम आदमी तक पर बड़ा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा जिसके लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤— ने 1857 के विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ में हिसà¥à¤¸à¤¾ लिया। उनमें से ही à¤à¤• लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ नाम इतिहास के पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में पीर अली को इंगित करता है। 1857 का सिपाही वà¥à¤°à¤¿à¤¦à¥‹à¤¹ महज विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ à¤à¤° या साधारण घटना नहीं थी, बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤¨à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® की शà¥à¤°à¥‚आत थी। अà¤à¤¿à¤²à¥‡à¤–ों से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि पीर अली और उनके साथियों ने 1857 में वहाबी आंदोलन का नेतृतà¥à¤µ किया था, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वो खà¥à¤¦ इससे जà¥à¥œà¥‡ थे। गौरतलब है कि बिहार की राजधानी पटना में शहीद पीर अली खान के नाम पर à¤à¤• छोटा सा पारà¥à¤• है और शहर से हवाई अडà¥à¤¡à¥‡ को जोड़ने वाली à¤à¤• सड़क à¤à¥€à¥¤ शहर में उनकी मजार à¤à¥€ है और उनके नाम का à¤à¤• मोहलà¥à¤²à¤¾ पीरबहोर à¤à¥€à¥¤ पिछले आठसालों से बिहार सरकार उनकी शहादत की याद में 7 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाती है। इसके बावजूद देश और बिहार तो कà¥à¤¯à¤¾, पटना के à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कम लोगों को पता है कि पीर अली वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ कौन थे और उनकी शहादत कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ आलेख 1857 की जनकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति में पीर अली की à¤à¥‚मिका में पीर अली जो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® 1857 के गदर के शहीदों में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ नाम है जिसे इतिहास ने लगà¤à¤— विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤ कर दिया है। इसके अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के माधà¥à¤¯à¤® से जो आज à¤à¥€ उनके पहचान तथा वजूद की शहादत का कोई नामलेवा तक नहीं है। उनके शहादत दिवस पर जो समारोह होता है, उसमें सरकार के कà¥à¤› नà¥à¤®à¤¾à¤ˆà¤‚दों के अलावा आम लोगों की à¤à¤¾à¤—ीदारी नगणà¥à¤¯ ही होती है पर गहन विचार à¤à¤µà¤‚ इसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को इंगित करता है।
How to cite this article:
मो. जमील हसन अंसारी. 1857 की जनकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति में पीर अली की à¤à¥‚मिका. Int J Appl Res 2017;3(10):355-358.