Vol. 3, Issue 11, Part E (2017)
सेवासदन: सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पाà¤
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Author(s)
सà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द के सेवासदन उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ में दहेज-पà¥à¤°à¤¥à¤¾, अनमेल-विवाह, नारियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ आदि को कथावसà¥à¤¤à¥ मनाया है। सà¥à¤®à¤¨ के माधà¥à¤¯à¤® से लेखक ने सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤à¥à¤µ की गरिमा को बखूबी दिखाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है। नारियाठअब चार-दीवारी में कैद रहने वाली नहीं है, उसे तो खà¥à¤²à¥€ छत और अननà¥à¤¤ आकाश चाहिà¤à¥¤ जिसमें वह मन की वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ और तन की पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ बà¥à¤à¤¾ सके।
How to cite this article:
सà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. सेवासदन: सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पाठ. Int J Appl Res 2017;3(11):316-317.