Vol. 3, Issue 11, Part G (2017)
आतà¥à¤®à¤¾ के संदरà¥à¤ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿
आतà¥à¤®à¤¾ के संदरà¥à¤ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿
Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstractà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की अति ने आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ को आज महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बना दिया है। संसार जितना पदारà¥à¤¥ के मामले में समृदà¥à¤§ हà¥à¤† है, आतà¥à¤®à¤¾ के संबंध में उतना ही दरिदà¥à¤° हो गया है। बड़े पदों पर बैठे हà¥à¤ बड़े लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठजा रहे à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° को देख-सà¥à¤¨à¤•à¤° à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि उनमें आतà¥à¤®à¤¾ ही नहीं हैं। इस आतà¥à¤®à¤¾ के संबंध में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से ही à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में बड़ा गूढ़-गंà¤à¥€à¤° चिंतन किया गया हैं, जिनके परिचय से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ रूपांतरित होता है। अतः इस शोध लेख में आतà¥à¤®-विषयक जितनी à¤à¥€ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रही हैं, उनका संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ परिचय देने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है। यह आतà¥à¤®à¤šà¤¿à¤‚तन आतà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤šà¤¯ का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहो सकता है।
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. आतà¥à¤®à¤¾ के संदरà¥à¤ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿. Int J Appl Res 2017;3(11):532-536.