International Journal of Applied Research
Vol. 3, Issue 12, Part E (2017)
तुलसी काव्य में लोकमत से संबंधित मूल्य
Author(s)
डाॅ. अनुष्का तिवारी
Abstractजब कवि, चिन्तक, समाज सुधारक उच्च वैचारिक स्थिति में प्रवेश करता है, तब वह अपनी परिपक्व मेधा से, जीवन के गहन अनुभव के साथ ही अनुभूत सत्य के गहन अनुभव से जो कुछ कहता है। वह ‘‘कागद की लेखी’’ के साथ-साथ ‘‘आखिन देखी’’ अधिक होता है।
रामचरित मानस के प्रणेता गोस्वामी तुलसी दास जी ने अनेक मतों का उल्लेख मानस के अतिरिक्त विनय पत्रिका में किया है, किन्तु वे स्वयं किसी मतवाद के चक्कर में नहीं फसतें है, बल्कि विभिन्न मतो के अच्छे तथयों को ग्रहण करके एक विशिष्ट रसायन तैयार करतें हैं, जिसे गोस्वामी जी का विशिष्ट मत कहा जा सकता है, जब तुलसी दास जी जैसे महान कवि लेखनी चला रहे थे। तब ढेर सारे मत-मतान्तर उपस्थित थे।
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डाॅ. अनुष्का तिवारी. तुलसी काव्य में लोकमत से संबंधित मूल्य. Int J Appl Res 2017;3(12):305-307.