Vol. 3, Issue 12, Part E (2017)
तà¥à¤²à¤¸à¥€ कावà¥à¤¯ में लोकमत से संबंधित मूलà¥à¤¯
तà¥à¤²à¤¸à¥€ कावà¥à¤¯ में लोकमत से संबंधित मूलà¥à¤¯
Author(s)
डाॅ. अनà¥à¤·à¥à¤•à¤¾ तिवारी
Abstractजब कवि, चिनà¥à¤¤à¤•, समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• उचà¥à¤š वैचारिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करता है, तब वह अपनी परिपकà¥à¤µ मेधा से, जीवन के गहन अनà¥à¤à¤µ के साथ ही अनà¥à¤à¥‚त सतà¥à¤¯ के गहन अनà¥à¤à¤µ से जो कà¥à¤› कहता है। वह ‘‘कागद की लेखी’’ के साथ-साथ ‘‘आखिन देखी’’ अधिक होता है।
रामचरित मानस के पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€ दास जी ने अनेक मतों का उलà¥à¤²à¥‡à¤– मानस के अतिरिकà¥à¤¤ विनय पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ में किया है, किनà¥à¤¤à¥ वे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ किसी मतवाद के चकà¥à¤•à¤° में नहीं फसतें है, बलà¥à¤•à¤¿ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मतो के अचà¥à¤›à¥‡ तथयों को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करके à¤à¤• विशिषà¥à¤Ÿ रसायन तैयार करतें हैं, जिसे गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का विशिषà¥à¤Ÿ मत कहा जा सकता है, जब तà¥à¤²à¤¸à¥€ दास जी जैसे महान कवि लेखनी चला रहे थे। तब ढेर सारे मत-मतानà¥à¤¤à¤° उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे।
How to cite this article:
डाॅ. अनà¥à¤·à¥à¤•à¤¾ तिवारी. तà¥à¤²à¤¸à¥€ कावà¥à¤¯ में लोकमत से संबंधित मूलà¥à¤¯. Int J Appl Res 2017;3(12):305-307.