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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 12, Part I (2017)

परिवार एवं विवाह संस्था पर वैश्वीकरण का प्रभाव एवं युवा दृष्टिकोण

परिवार एवं विवाह संस्था पर वैश्वीकरण का प्रभाव एवं युवा दृष्टिकोण

Author(s)
डॉ. रामफूल जाट
Abstract
पारिवारिक व्यवस्था को एक आर्थिक सामाजिक प्रावधान के रूप में आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए, भावनात्मक आधार के रूप में एक प्रभावशाली समूह के रूप में और सामाजिक अनुशासन के एक साधन के रूप में देखा जा सकता है। भारतीय परिवार व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण विशेषता संयुक्त परिवार प्रणाली के अस्तित्व को वर्तमान में युवा वर्ग संरचनात्मक दृष्टि से चुनौती देने लगा है। प्राकार्यात्मक दृष्टि से संयुक्तता स्वीकार्य है। परम्परा प्रधान समाज में विवाह एक ऐसी धार्मिक और सामाजिक संस्था है जो किसी भी महिला और पुरूष को एक साथ जीवन व्यतीत करने का अधिकार देने के साथ दोनों को कुछ महत्वपूर्ण दायित्व भी प्रदान करती है। जैसे-जैसे वैश्वीकरण की प्रक्रिया आगे बड़ी विवाह विभिन्न परिवर्तनों से गुजरा है। जैसे प्रेम विवाह, अन्तजातीय विवाह, अनुलोम प्रतिलोम विवाह का प्रचलन बड़ा हैं। यहां तक कि इससे जुड़े मूल्यों में भी अभूतपूर्व बदलाव आया है। युवा आज विवाह को समझौते के आधार पर न चलाकर स्वेच्छा से तलाक लेना बेहतर मानता हैं। वैश्विकरण के परिणामस्वरूप आर्थिक गतिशीलता, सांस्कृतिक हस्तान्तरण, लिव इन रिलेशनशिप, नये रोजगार के अवसर, युवा पीढ़ी गतिशीलता व पारिवारिक संबंधों को कमजोर किया है। उच्च शिक्षित पारिवारिक हित के बजाय स्वहित को प्रोत्साहन, महिलाओं की आर्थिक स्वतन्त्रता। आई.टी. से संबंधित नौकरियों ने परिवारों, महिलाओं के दोहरे दायित्वों का बढ़ाया है वहीं युवा वर्ग द्वारा परिवार एवं विवाह ने परम्परागत प्रतिमानों को चुनौती मिल रही है।
Pages: 624-626  |  200 Views  30 Downloads
How to cite this article:
डॉ. रामफूल जाट. परिवार एवं विवाह संस्था पर वैश्वीकरण का प्रभाव एवं युवा दृष्टिकोण. Int J Appl Res 2017;3(12):624-626.
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