Vol. 3, Issue 4, Part C (2017)
राजस्थानी लघुचित्रों का तकनीकी पक्ष
राजस्थानी लघुचित्रों का तकनीकी पक्ष
Author(s)
डॉ. अरविन्द मैन्दोला
Abstract
राजस्थानी लघुचित्रों की तकनीकी विषिष्ठ परम्परा यहाँ के चित्रकार पीढ़ियों से अपनाते आ रहे हैं। यह सर्व विदित है कि लघुचित्र शैली के चित्रकार चित्रण के विभिन्न साधन एवं सामग्री का निर्माण चित्रकार स्वयं कर रहे हैं। उसमें विभिन्न प्रकार के रंग, तुलिकाओं, कागज, चित्र निर्माण सम्बन्धी स्थानीय पद्धति परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही हैं। प्रारम्भिक चित्रण में कागज के प्रचलन से ताड़पत्रों पर चित्रण करने की प्रथा थी। भारत में कागज का प्रयोग 13 वीं शताब्दी के बाद देखा जाता हैं। परम्परागत चित्रों के लघुचित्रों में फलक संयोजन को दो भागों में विभाजित किया जाता हैं। उदयपुर के घनष्याम शर्मा, नाथद्वारा के रेवा शंकर, भीलवाड़ा में बद्री लाल और जयपुर के कृपाल सिंह शेखावत, वेद पाल बन्नु शर्मा की चित्रषालाओं में ये बहुमूल्य साधन सामग्रीयाँ प्राचीन चित्रों की तैयारी एवं चित्रण आज भी विषेष महत्व रखती हैं।
How to cite this article:
डॉ. अरविन्द मैन्दोला. राजस्थानी लघुचित्रों का तकनीकी पक्ष. Int J Appl Res 2017;3(4):194-195.