Vol. 3, Issue 6, Part Q (2017)
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ संदरà¥à¤à¤®à¥‡ ‘पनिपत’
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ संदरà¥à¤à¤®à¥‡ ‘पनिपत’
Author(s)
गीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
अतà¥à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤¨à¤¿à¤• मैथिली साहितà¥à¤¯à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤®à¥‡ जे किछॠसशकà¥à¤¤ लेखकक आगमन à¤à¥‡à¤² ताहिमे जीवकानà¥à¤¤ सेहो अबैत छथि। जीवकानà¥à¤¤ सबसऽ हटि कऽ छलाह, अपना रंगक à¤à¤•à¤¸à¤°à¥¤ हà¥à¤¨à¤•à¤¾ फà¥à¤¸à¤¿à¤•à¥‡à¤‚ फà¥à¤¸à¤¿ आ साà¤à¤šà¤•à¥‡à¤‚ साà¤à¤š कहबाक सामथà¥à¤°à¥à¤¯ छलनि। ओ समतल पर बात करैत छलाह, ओ किछॠनà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤½ नहि जनैत छलाह। जे मोनमे अबैत छलनि निधोख à¤à¤½ कऽ बजैत छलाह। ई निडरता पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¥‡ सऽ जीवकानà¥à¤¤à¤®à¥‡ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ छलनि। साहितà¥à¤¯à¤®à¥‡ हिनक पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कविक रूपमे à¤à¥‡à¤²à¥¤ हà¥à¤¨à¤•à¤¾ लिकà¥à¤–ाड़ लेखक कहल जाइत छल। कविते लिखऽ लगलाह तऽ बहà¥à¤¤ रास लिखलाह। हिनक बारह गोट कविता संगà¥à¤°à¤¹ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ छनि जाहिमे ‘‘तकैत अछि चिड़ै’’, पर हिनका 1998ई. मे साहितà¥à¤¯ अकादमी पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¤¿à¥¤ ‘‘निशानà¥à¤¤ की चिड़िया’’ नामसठà¤à¤¹à¤¿ पोथीक हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ सेहो à¤à¥‡à¤²à¥¤ ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ कथा, उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸, निबनà¥à¤§, समीकà¥à¤·à¤¾ आ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ से हो कयलाह। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ साहितà¥à¤¯à¤• कोनो विधा हिनकासठबाà¤à¤šà¤² नहि अछि।
How to cite this article:
गीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ संदरà¥à¤à¤®à¥‡ ‘पनिपत’. Int J Appl Res 2017;3(6):1208-1209.