Vol. 3, Issue 7, Part K (2017)
परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ में वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की à¤à¥‚मिका
परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ में वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की à¤à¥‚मिका
Author(s)
डाॅ॰ सà¥à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾ साहा
Abstract
आज परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण à¤à¤• अनà¥à¤¤à¤°à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾ का रूप ले चà¥à¤•à¤¾ है। पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संसाधनों के दोहन को लेकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ के बà¥à¤¤à¥‡ लालच का परिणाम संपूरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ के लिठविनाषकारी सि़दà¥à¤§ हà¥à¤† है। यह बात समूचे विषà¥à¤µ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करनी होगी कि पà¥à¤°à¤—ति à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤• दूसरे के पूरक हैं न कि पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¥à¤µà¤¨à¥à¤¦à¥€à¥¤ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ का अरà¥à¤¥ विकास ही समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ यदि पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के साथ अनावषà¥à¤¯à¤• छेड़-छाड़ बंद नहीं हà¥à¤ˆ तो पृथà¥à¤µà¥€ पर मानव का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ खतरे में पड़ जाà¤à¤—ा। अतः परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ हेतॠवृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की उपादेयता अपरिहारà¥à¤¯ है।
How to cite this article:
डाॅ॰ सà¥à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾ साहा. परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ में वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की à¤à¥‚मिका. Int J Appl Res 2017;3(7):762-765.