Vol. 3, Issue 9, Part I (2017)
खà¥à¤¸à¤°à¥‹ की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ और नजी़र अकबराबादी
खà¥à¤¸à¤°à¥‹ की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ और नजी़र अकबराबादी
Author(s)
डॉ० विजय कà¥à¤®à¤¾à¤°
Abstract
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सामासिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के लिठधारà¥à¤®à¤¿à¤• कटà¥à¤Ÿà¤°à¤¤à¤¾ à¤à¤• चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ रही है। मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥€ राजà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होने के उपरानà¥à¤¤ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बादशाहों का हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ रवैया कà¥à¤°à¥‚रतापूरà¥à¤£ रहा। हिनà¥à¤¦à¥‚ और उनके पूजासà¥à¤¥à¤² सदा उसके निशाने पर रहे। परनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ आकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ आये सूफी संतों ने इसà¥à¤²à¤¾à¤® की à¤à¤• नई छवि पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की। उनकी विचारधारा ईरानी तसवà¥à¤µà¥à¤« से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ थी और उनका दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ मानवतावादी था। अपने धरà¥à¤® के आचरण को अपनाते हà¥à¤ वे दूसरे धरà¥à¤® के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤“ं के साथ पà¥à¤°à¥‡à¤® का संबंध रखते थे। वे ‘पà¥à¤°à¥‡à¤® का पीर’ जगाकर कर सà¤à¥€ को उस परम ईशà¥à¤µà¤° की ओर ले जाना चाहते। अमीर खà¥à¤¸à¤°à¥‹à¤‚ à¤à¥€ à¤à¤• सूफी संत और कवि थे जो हजरत निजामà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ औलिया के शिषà¥à¤¯ थे। अमीर खà¥à¤¸à¤°à¥‹ फारसी के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे और ईरानी रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ में आसà¥à¤¥à¤¾ रखते थे परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥‚मि, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€, à¤à¤¾à¤°à¤¤ की à¤à¤¾à¤·à¤¾ से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अगाध पà¥à¤°à¥‡à¤® था। धारà¥à¤®à¤¿à¤• कटà¥à¤Ÿà¤°à¤¤à¤¾ के दौर में अमीर खà¥à¤¸à¤°à¥‹ ने अपनी कविता के माधà¥à¤¯à¤® से हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सौहारà¥à¤¦ का पैगाम à¤à¥‡à¤œà¤¾ और हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं में इसà¥à¤²à¤¾à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ धारणा बदली। अमीर के इस पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ ने हिनà¥à¤¦à¥€–उरà¥à¤¦à¥‚ के परवरà¥à¤¤à¥€ कवियों को दूर–दूर तक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया। हिनà¥à¤¦à¥€ में कबीर आदि संत कवियों, सूरदास आदि à¤à¤•à¥à¤¤ कवियों, जायसी आदि पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤®à¤¾à¤°à¥à¤—ी कवियों ने अमीर खà¥à¤¸à¤°à¥‹ की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को आगे बà¥à¤¾à¤¯à¤¾ तो उरà¥à¤¦à¥‚ में आगे चलकर कई महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कवि हà¥à¤ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को मà¥à¤°à¤à¤¾à¤¾à¤¨à¥‡ से बचाया। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कवियों में à¤à¤• थे – नज़ीर अकबराबादी। वे आम जनता के कवि थे। उनका मेल–जोल साधारण हिनà¥à¤¦à¥‚ जनता से था। इसी का परिणाम था कि वे हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के रीति–रिवाज संसà¥à¤•à¤¾à¤°, परà¥à¤µ–तà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को नजदीक से देखा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गंगा–जमà¥à¤¨à¥€ तहजीब को बल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठमà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के साथ–साथ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के लिठà¤à¥€ कविताà¤à¤‚ लिखी। हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं पर उनकी कविता का साकारातà¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा, वे मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ के कà¥à¤› और करीब आये, सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• सौहारà¥à¤¦ मजबूत हà¥à¤†à¥¤ आज संकट की घड़ी में नज़ीर अकबराबादी हमारे लिठबहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक हो गये है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अनà¥à¤¤à¤°–राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर चल रही धरà¥à¤® की राजनीति à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ पर चोट कर रही है।
How to cite this article:
डॉ० विजय कà¥à¤®à¤¾à¤°. खà¥à¤¸à¤°à¥‹ की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ और नजी़र अकबराबादी. Int J Appl Res 2017;3(9):684-687.