Vol. 4, Issue 1, Part A (2018)
मध्यकालीन मिथिला के संगीत ग्रंथ का अध्ययन
मध्यकालीन मिथिला के संगीत ग्रंथ का अध्ययन
Author(s)
रजनीगंधा
Abstract
मध्यकाल में मिथिला में बहुत से मैथिल कवि हुए थे जिनकी किर्ति भारतीय प्रायद्वीप में प्रसिद्ध हुए थे। इसी काल में बहुत से कवि जैसे विद्यापति, भोज सोमेष्वर, महर्षि याज्ञवल्क, पं. चैतन्य देसाई आदि कवि हुए। इस काल को स्वर्ण काल कहा जाता है। भोज सोमेष्वर द्वारा रचित भरत भाष्य को दो खण्डों में बाँटा गया जिनके प्रथम खण्ड में पाँच अध्याय एवं द्वितीय खण्ड में दो अध्याय है। प्रथ्य लेखक ने वर्णरत्नाकर गं्रथ के अध्याय को कल्लोल में बाँटा है। जिनके प्रथम कल्लोल में राजा रानी एवं नगर व्यवस्था का वर्णन किया है। इसके दुसरे कल्लोल में नायक (राजा) एवं उनके प्रकार तथा लक्षणों का उल्लेख किया है। तिसरे कल्लोल में राजा के आम दरबार एवं उनके पदाधिकारी का वर्णन किया है। चतुर्थ कल्लोल में विभिन्न ऋतु एवं उनमें होने वाली प्राकृतिक परिणाम का वर्णन किया गया है। पंचम कल्लोल में युद्ध हेतु घोड़ा तैयार करना प्रषिक्षण आदि, प्रषिक्षण विधि का वर्णन किया है। षष्ठ कल्लोल में विविध विद्या एवं कलाओं का ज्ञान रखने वाली जाती भाँट का वर्णन है। सप्तम कल्लोल में तंत्र साधना एवं अष्टम में राजाओं के कुल का वर्णन है।
How to cite this article:
रजनीगंधा. मध्यकालीन मिथिला के संगीत ग्रंथ का अध्ययन. Int J Appl Res 2018;4(1):43-46.