Contact: +91-9711224068
International Journal of Applied Research
  • Multidisciplinary Journal
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

TCR (Google Scholar): 4.11, TCR (Crossref): 13, g-index: 90

Peer Reviewed Journal

Vol. 4, Issue 1, Part F (2018)

बौद्धों की श्रमण संस्कृति एवं हिन्दी साहित्य: एक समीक्षा

बौद्धों की श्रमण संस्कृति एवं हिन्दी साहित्य: एक समीक्षा

Author(s)
डाॅ॰ राम बालक राय
Abstract
श्रमण परम्परा भारत में प्राचीन काल से जैन, आजीविक, चार्वाक् एवं बौद्ध दर्शनों में पायी जाती है। ये वैदिक धारा से बाहर मानी जाती है एवं इसे प्रायः नास्तिक दर्शन भी कहते हैं। भिक्षु या साधु को श्रमण कहते हैं, जो सर्वविरत कहलाता है।
हिन्दी-साहित्य में बौद्ध-काव्य की सर्जना अपेक्षाकृत कम हुई है लेकिन जितनी भी हुई है, उसमें भगवान् बुद्ध की चारित्रिक उदात्तता और उनका अहिंसक स्वरूप शत-प्रतिशत सुरक्षित है। भगवान् बुद्ध मानवता के रक्षक थे एवं संसार के मानवों को दुःखी देखकर इतने करुणार्द्र हुए थे कि उन्होंने अपनी एकमात्र पत्नी यशोधरा और एक मात्र नवजात पुत्र राहुल को भी छोड़कर विश्व-कल्याण के लिए तपस्या का मार्ग स्वीकार किया था।
Pages: 421-423  |  1140 Views  315 Downloads


International Journal of Applied Research
How to cite this article:
डाॅ॰ राम बालक राय. बौद्धों की श्रमण संस्कृति एवं हिन्दी साहित्य: एक समीक्षा. Int J Appl Res 2018;4(1):421-423.
Call for book chapter
International Journal of Applied Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals