Vol. 4, Issue 1, Part F (2018)
भारतीय स्वशासनः विकास एवं स्वरूप
भारतीय स्वशासनः विकास एवं स्वरूप
Author(s)
Dr. Dhananjay Kumar Choudhary
Abstract
स्थानीय स्वशासन को प्रजातन्त्र का प्राण कहा जाता है; क्योंकि स्थानीय स्वशासन के माध्यम से जनता स्वयं शासन करती है। प्रशासन जनता के क्रियाशील रहता है। प्रजातन्त्र की प्राप्ति स्थानीय स्वशासन के माध्यम से ही सम्भव है। स्थानीय स्वशासन का महत्त्व प्रारम्भ से ही रहा है। वर्तमान युग में राज्यों की विशालता और प्रजातन्त्र के कारण इसका महत्त्व बढ़ गया है। स्थानीय स्वशासन में राज्य को स्वायत्त शासन की छोटी-छोटी इकाइयों में बांट दिया जाता है।
How to cite this article:
Dr. Dhananjay Kumar Choudhary. भारतीय स्वशासनः विकास एवं स्वरूप. Int J Appl Res 2018;4(1):483-485.