Vol. 4, Issue 1, Part F (2018)
‘गोदान’ की à¤à¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ - à¤à¤• मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन
‘गोदान’ की à¤à¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ - à¤à¤• मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन
Author(s)
डॉ॰ कृतारà¥à¤¥ शंकर पाठक
Abstract
विशà¥à¤µ-साहितà¥à¤¯ की चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ कृतियों में ‘गोदान’ आदर के साथ सà¥à¤®à¤°à¤£ किया जाता है। यह कलम के सिपाही पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द का कालजयी उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ है। इसे हिंदी साहितà¥à¤¯ में, किसान जीवन का महाकावà¥à¤¯ कहने में, कई समीकà¥à¤·à¤• गौरव की अनà¥à¤à¥‚ति करते हैं। 1 इसी उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का à¤à¤• नारी पातà¥à¤° है- à¤à¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾/नारी सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤°à¥à¤¯à¤¾ यà¥à¤— में, नारियों के जीवन दिशा और दशाओं को à¤à¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करती है। 2 पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोध आलेख में, इसी तथà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जा रहा है।
How to cite this article:
डॉ॰ कृतारà¥à¤¥ शंकर पाठक. ‘गोदान’ की à¤à¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ - à¤à¤• मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन. Int J Appl Res 2018;4(1):519-520.