Vol. 4, Issue 1, Part F (2018)
स्वतंत्रता पूर्व एवं स्वतंत्रता के पश्चात महिला नेतृत्व विकास में पंचायती राज की भूमिका
स्वतंत्रता पूर्व एवं स्वतंत्रता के पश्चात महिला नेतृत्व विकास में पंचायती राज की भूमिका
Author(s)
अनामिका कुमारी
Abstract
महिला नेतृत्व विकास एक ऐसी मौन क्रांति का द्योतक है जो अभी राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक रूप से भले ही दिखाई नहीं दे रही हो पर उसकी धीमी आँच भारतीय लोकतंत्र को अवष्य मजबूत बना रही है। यह क्रांति देश के सत्ता-विमर्श के ढाँचे में ही बदलाव नहीं ला रही है बल्कि पंचायत स्तर पर इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी ने स्थानीय स्तर पर सामुदायिक जीवन और उसकी चेतना तथा संस्कृति में भी परिवर्तन लाया है। इन निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने सत्ता के जातीय समीकरण को ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समीकरण को भी बदला है। ग्राम सभा से लेकर संसद तक राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की भागीदारी दिनांेदिन बढ़ती जा रही है। अब स्थिति यह है कि पंचायतों में भागीदारी होने के साथ ही उनकी आत्मनिर्भरता भी बढ़ी है। उनमें जागरूकता भी आयी है और वे छोटे-छोटे स्वयं सहायता समूहों के जरिये अपना स्वरोजगार अपना रही हैं और देश के राष्ट्रीय विकास में अपना सहयोग भी दे रही हंै। इस तरह यह कहना गलत नहीं होगा कि पंचायतों से ही महिलाओं के राजनीतिक एवं सशक्तीकरण अभियान को गति मिली है। जब पंचायतों में उनकी भागीदारी बढ़ी तभी वे हर दिशा में आगे निकल पायी हैं।
How to cite this article:
अनामिका कुमारी. स्वतंत्रता पूर्व एवं स्वतंत्रता के पश्चात महिला नेतृत्व विकास में पंचायती राज की भूमिका. Int J Appl Res 2018;4(1):554-558.