Vol. 4, Issue 1, Part F (2018)
चितराम-पिछवाई की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾
चितराम-पिछवाई की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾
Author(s)
डाॅ. यà¥à¤—लकिशोर शरà¥à¤®à¤¾
Abstract
नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मंदिर में शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ के पृषà¥à¤ à¤à¤¾à¤— में लटकाये जाने वाले परà¥à¤¦à¥‡ को ’पिछवाई’ कहा जाता है। चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ पिछवाई को चितराम की पिछवाई है जो नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चितà¥à¤°à¤•à¤²à¤¾ की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विधा है। कृषà¥à¤£-लीला विषयक चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ पिछवाईयां अब मंदिर के अतिरिकà¥à¤¤ हवेलियों व घरों में à¤à¥€ लटकायी जाती है। कई पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ पिछवाईयां देश- विदेश के संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯à¤¾à¤‚े में पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ है। अतः छोटी से लेकर बडी पिछवाईयो की चितà¥à¤°à¤£- विधा पर शोध महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हो जाता है।
How to cite this article:
डाॅ. यà¥à¤—लकिशोर शरà¥à¤®à¤¾. चितराम-पिछवाई की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾. Int J Appl Res 2018;4(1):572-573.