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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 4, Issue 10, Part A (2018)

राजस्थानी लघुचित्र परम्परा में आध्यात्मिकता

राजस्थानी लघुचित्र परम्परा में आध्यात्मिकता

Author(s)
डॉ. अरविन्द मैन्दोला
Abstract
राजस्थानी लघुचित्र परम्परा के सचित्र ग्रंथों का अंकन शास्त्रीय धरातल पर आधारित रहा हैं। आध्यात्म चित्रों के सृजन में मुख्य आधार रहा हैं। राजस्थान में कला और धर्म का सदियों से अन्योन्याश्रित सम्बद्ध रहा हैं। कला ने धर्म को रूप प्रदान किया तो धर्म ने कला को सावित्वकता प्रदान की हैं। राजस्थानी कला को उदात्त धार्मिक अविष्कार का विषय भी माना जा सकता हैं। वैदिक काल की दिव्य शक्तियाँ प्रकृति के उदात्त अवस्था की प्रतीक थी। धार्मिक चित्रों में निराकार साक्षात सच्चिदावस्था हैं। कलाकार के अनुसार ब्रहत्व प्राप्त करने का अर्थ ही ब्रहम की शाष्वत आनन्दावस्था प्राप्त करना और मोक्ष प्राप्त करना हैं। राजस्थान की कला और धर्म का सदियों से अन्योन्याश्रित सम्बन्ध रहा हैं। यहाँ के शासको का कोई भी धर्म रहा हो किन्तु उनकी सहिष्णुवादी नीति के कारण जन-सामान्य अपने विष्वास के अनुरूप किसी भी प्रचलित धर्म को स्वीकार करने के लिये स्वतंत्र था।
Pages: 57-58  |  121 Views  41 Downloads
How to cite this article:
डॉ. अरविन्द मैन्दोला. राजस्थानी लघुचित्र परम्परा में आध्यात्मिकता. Int J Appl Res 2018;4(10):57-58.
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