Vol. 4, Issue 10, Part F (2018)
भारतीय दलित समाज : मुद्दे एवं समस्याएं
भारतीय दलित समाज : मुद्दे एवं समस्याएं
Author(s)
डॉ. रामफूल जाट
Abstract
भारतीय हिन्दू सामाजिक व्यवस्था में उपेक्षित शोषित रहे दलित वर्ग समूह को मुख्य धारा में लाने हेतु प्राचीन समय से संत कबीर, नानक, राजाराम मोहनराय, स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधी, ज्योतिबा फूले एवं बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर, ई.बी. रामा स्वामी पेरियार, केरल में नारायण स्वामी गुरू, उत्तर प्रदेश में अच्चुतानन्द, पंजाब में मंगराम इत्यादि ने हर स्तर पर सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टि से शोषण व्यवस्था पर प्रहार किया। दलितों और जाति विरोधी आन्दोलनों के लिए स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान नयी दुविधाएं और संभावनाएं जुड़ गयी। वर्तमान में आर्थिक कूटनीति के लिए नया रास्ता बनाने की आवश्यकता है। दलित आन्दोलनों को विशेष रूप से जाति आन्दोलनों को सामान्यतः मूल्य सम्बन्धी अथवा परम्परागत व्यवस्था विरोधी आन्दोलनों के रूप में देखना चाहिए। परम्परागत वर्ण व्यवस्था की स्थापना, जाति व्यवस्था का उदय और परम्परागत रूढ़िवादी मान्यताओं की स्थापना, संतो, समाज सुधारकों के प्रयास, महात्मा गांधी एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर का योगदान एवं उनकी प्रमुख समस्याओं के विशद वर्णन एवं विश्लेषण की आवश्यकता है।
How to cite this article:
डॉ. रामफूल जाट. भारतीय दलित समाज : मुद्दे एवं समस्याएं. Int J Appl Res 2018;4(10):486-489.