International Journal of Applied Research
Vol. 4, Issue 10, Part F (2018)
प्रसाद के नाटकों में पुरुष वर्चस्व एवं स्त्री-अस्मिता
Author(s)
अर्चना कुमारी
Abstract
सामाज में स्त्री की छवि को अच्छी तरह उभार नही पाते तब तक स्त्री-अस्मिता या स्त्री मुक्ति की कामना व्यर्थ है। स्त्री की छवि को इस पुरुष वर्चस्वशील समाज ने अबला, गुलाम, कामिनी, माया इत्यादि नामों से पुकारा है। इन विभूषणों पर कानून, समाज, धर्म और सत्ता ने भी मुहर लगाई है। इतना ही नहीं, स्त्रियों का वर्णन करते समय भारत देश के तमाम महर्षि, सन्त, विद्वान और दार्शनिक भी उसे ऐसे निश्चित विचारों की सीमा में ही स्थान देते पाए जातें है।
How to cite this article:
अर्चना कुमारी. प्रसाद के नाटकों में पुरुष वर्चस्व एवं स्त्री-अस्मिता. Int J Appl Res 2018;4(10):464-465.