Vol. 4, Issue 10, Part F (2018)
पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के नाटकों में पà¥à¤°à¥à¤· वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾
पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के नाटकों में पà¥à¤°à¥à¤· वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾
Author(s)
अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
सामाज में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की छवि को अचà¥à¤›à¥€ तरह उà¤à¤¾à¤° नही पाते तब तक सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ या सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की कामना वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की छवि को इस पà¥à¤°à¥à¤· वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µà¤¶à¥€à¤² समाज ने अबला, गà¥à¤²à¤¾à¤®, कामिनी, माया इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ नामों से पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¾ है। इन विà¤à¥‚षणों पर कानून, समाज, धरà¥à¤® और सतà¥à¤¤à¤¾ ने à¤à¥€ मà¥à¤¹à¤° लगाई है। इतना ही नहीं, सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ करते समय à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश के तमाम महरà¥à¤·à¤¿, सनà¥à¤¤, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ और दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ उसे à¤à¤¸à¥‡ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ विचारों की सीमा में ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ देते पाठजातें है।
How to cite this article:
अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के नाटकों में पà¥à¤°à¥à¤· वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾. Int J Appl Res 2018;4(10):464-465.