Vol. 4, Issue 2, Part D (2018)
लिलीरेक साहितà¥à¤¯à¤®à¥‡ नारी चेतनाक सà¥à¤µà¤°
लिलीरेक साहितà¥à¤¯à¤®à¥‡ नारी चेतनाक सà¥à¤µà¤°
Author(s)
विजय शंकर पंडित
Abstract
लिलीरेक कथा, उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ओ हà¥à¤¨à¤• विविध साहितà¥à¤¯à¤®à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूपमे मिथिलाक नारीक यथारà¥à¤¥ जीवनक सà¥à¤µà¤° रहैत अछि। ओ अपन कथा-उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤®à¥‡ संà¤à¥à¤°à¤¾à¤¤ परिवारक बहà¥à¤†à¤¸à¤¿à¤¨à¤• वरà¥à¤£à¤¨ सेहो करैत छथि, राजामाताक सेहो वरà¥à¤£à¤¨ करैत छथि, दाइ-बहिनदाइ आ ननदि-à¤à¤¾à¤‰à¤œà¤• सेहो वरà¥à¤£à¤¨ करैत छथि आ तकरा लागल खबासिनी-नौड़ीक सेहो वरà¥à¤£à¤¨ करैत छथि। यैह कारण अछि जे हिनक कथामे नारीक विविध चरितà¥à¤° आ सà¥à¤µà¤°à¥‚पक यथारà¥à¤¥ वरà¥à¤£à¤¨ à¤à¥‡à¤² अछि।
How to cite this article:
विजय शंकर पंडित. लिलीरेक साहितà¥à¤¯à¤®à¥‡ नारी चेतनाक सà¥à¤µà¤°. Int J Appl Res 2018;4(2):236-237.