Vol. 4, Issue 6, Part B (2018)
अद्वैतवेदान्त में माया का स्वरूप
अद्वैतवेदान्त में माया का स्वरूप
Author(s)
Swasti Sharma
Abstract
भारतीय दर्शनों में सर्वोच्च स्थान अद्वैतवेदान्तदर्शन को प्राप्त है। अद्वैतवाद से तात्पर्य उस विचारधारा से है जो कि मात्र किसी एक तत्त्व को ही अन्तिम रूप से सत्य स्वीकारती है तथा शेष अन्य को उससे उत्पन्न, उसका विकार अथवा उसका आभास स्वीकार करती है। भारतीय दर्शन में अद्वैतवाद के सम्बन्ध में दो बातें विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं- प्रथम परमतत्त्व एक और आध्यात्मिक है और द्वितीय वह पारमार्थिक है। भारतीय दर्शन की वैदिक और अवैदिक दोनों परम्पराओं में अद्वैतवाद का विभिन्न रूपों में प्रतिपादन क्या गया है। अद्वैतवेदान्त में विवेचित माया के स्वरूप को इस शोधपत्र में प्रस्तुत किया जा रहा है।
How to cite this article:
Swasti Sharma. अद्वैतवेदान्त में माया का स्वरूप. Int J Appl Res 2018;4(6):85-87.