Vol. 4, Issue 7, Part A (2018)
मिथिला का समकालिन धरà¥à¤®-शाकà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ शाकà¥à¤¤à¤¯à¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤° धरà¥à¤® में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का तादातà¥à¤®à¥à¤¯
मिथिला का समकालिन धरà¥à¤®-शाकà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ शाकà¥à¤¤à¤¯à¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤° धरà¥à¤® में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का तादातà¥à¤®à¥à¤¯
Author(s)
पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾
Abstract
वैसे तो धरà¥à¤® कब पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤† और उसका पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® सà¥à¤µà¤°à¥‚प तथा नाम कà¥à¤¯à¤¾ था यह सही रूप में आज à¤à¥€ इतिहासकारों के लिठपहेली सा बना हà¥à¤† है। किनà¥à¤¤à¥ इतना सतà¥à¤¯ है कि आदिमानव जो जंगलों में यायावरी जिनà¥à¤¦à¤—ी जी रहा था, उसने तब तक किसी धरà¥à¤® की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ नहीं की थी जब तक कि उसके समठà¤à¤• बड़ा विपतà¥à¤¤à¤¿ चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ बन कर खड़ा नहीं हो गया था। इतिहासकारों का मानना है कि ये लोग तब à¤à¥à¥œà¥‹à¤‚ और समूहों में नहीं रहते थे। ये जानवरों के तरह शिकार मार कर खाते थे à¤à¤°à¤¨à¤¾ और नदियों में जल पीते थे तथा कà¤à¥€-किसी हिंसक पशà¥à¤“ं के खाली छोड़े गठमांद में अथवा किसी पेड़ के दरार के नीचे छीपकर जिनà¥à¤¦à¤—ी जी लेते थे।
How to cite this article:
पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾. मिथिला का समकालिन धरà¥à¤®-शाकà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ शाकà¥à¤¤à¤¯à¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤° धरà¥à¤® में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का तादातà¥à¤®à¥à¤¯. Int J Appl Res 2018;4(7):56-58.