Vol. 4, Issue 8, Part D (2018)
‘अगà¥à¤¨à¤¿à¤¬à¤¾à¤¨’ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
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Author(s)
गीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
मैंथिली साहितà¥à¤¯à¤• पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° जीवकानà¥à¤¤ उचà¥à¤š कोटिक कवि-कथाकार ओ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤•à¤¾à¤° छलाह। जीवकानà¥à¤¤ समकालीन मैथिली कावà¥à¤¯ परिदृशà¥à¤¯à¤• à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित कवि सेहो छलाह। अपन अनà¥à¤à¤µà¤¸à¤ जीवनक जटिलसठजटिल विषयकें सोठढà¤à¤—सठसहजतापूरà¥à¤µà¤• अपन कावà¥à¤¯à¤• माधà¥à¤¯à¤®à¥‡ कहि दैत छथि। जीवकानà¥à¤¤à¤®à¥‡ सà¤à¤¸à¤ पैघ गà¥à¤£ रहनि जे ओ मैथिली साहितà¥à¤¯à¤• लेल à¤à¤•à¤Ÿà¤¾ पैघ पीà¥à¥€à¤• निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कयलनि, जे à¤à¤–न सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ छथि। लिखब हिनक बय छनि। ई पतà¥à¤° आ साहितà¥à¤¯ दà¥à¤¨à¥‚ à¤à¤•à¥‡ रंग लिखैत छलाह। दà¥à¤¨à¥‚मे à¤à¤•à¥‡ रंग तनà¥à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ रहैत छलनि। ओ तीसम बरà¥à¤–मे मैथिली साहितà¥à¤¯à¤®à¥‡ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कयलनि आ तेना ने जमिकऽ लिखलनि जे मà¥à¤à¤¾à¤‡à¤¤ छल मेघ मूसलाधार बरसि रहल हो। बारह गोट कविता संगà¥à¤°à¤¹, चारि गोट कथा संगà¥à¤°à¤¹, पाà¤à¤š टा उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आ अनगणित लेख, निबंध, समीकà¥à¤·à¤¾, पतà¥à¤°-पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤®à¥‡ छिड़िआयल अछि।
How to cite this article:
गीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. ‘अगà¥à¤¨à¤¿à¤¬à¤¾à¤¨’ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Appl Res 2018;4(8):236-237.