Vol. 4, Issue 9, Part A (2018)
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवन की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का à¤à¤• मातà¥à¤° समाधान गीता का करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤—
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवन की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का à¤à¤• मातà¥à¤° समाधान गीता का करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤—
Author(s)
डाॅ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ à¤à¤¾
Abstract
हमारा आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवन à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं से परिपूरà¥à¤£ तथा बाहरी विकास पर ही केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ हो गया है। आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• विकास को उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर मानव जीवन का सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ तो बिगड़ा ही है। साथ ही विलासिता की à¤à¥‹à¤— सामगà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से घिरा मानव à¤à¥€à¤¤à¤° ही à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¤•à¤‚ाकी, अपूरà¥à¤£ व रिकà¥à¤¤ सा अनà¥à¤à¤µ करता है। जीवन के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• आननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में गीता की अहम à¤à¥‚मिका है जो à¤à¥‹à¤— में नहीं अपितॠकरà¥à¤® में ही जीवन का आननà¥à¤¦ लेने का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है। लगà¤à¤— सà¤à¥€ विकसित देशों में यह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ समान रूप से समसà¥à¤¯à¤¾ बनकर वहाॅं के नागरिकों के समकà¥à¤· खड़ी है। अनिदà¥à¤°à¤¾, बेचैनी, अवसाद, तनाव ने मानव के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ पर ही पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¹à¥à¤¨ लगा दिये हैं। परनà¥à¤¤à¥ गीता आज मानव की इन असीमित समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° समाधान व दृॠआधार के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है। गीता à¤à¥‹à¤— में अनासकà¥à¤¤à¤¿ व योग को ही जीवन जीने की शैली के रूप में पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करती है।
How to cite this article:
डाॅ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ à¤à¤¾. आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवन की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का à¤à¤• मातà¥à¤° समाधान गीता का करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤—. Int J Appl Res 2018;4(9):36-38.